समझदार और जागरूक होते नौनिहाल …… !
कुछ अच्छा सुनो तो वाकई दिल को बहुत सुकून मिलता है। ये अहसास
होता है कि कही कुछ तो अच्छा हो रहा है जिस पर ये दुनिया कायम है। अभी पिछले ही लेख में मैंने बच्चो को अच्छा बुरा समझाने और उन्हें सही गलत की पहचान कराने की सलाह से रूबरू करवाया था। आज उसी से जुडी घटनाओं ने ये अहसास कराया की अब हमारे बच्चे बड़े हो रहे हैं समझ रहें हैं। अच्छे बुरे की पहचान कर रहें हैं। जोधपुर के पास की ही जगह की घटना है। एक पार्क में कई बच्चे खेल रहे थे। जिसमें से कुछ बच्चे झूला झूल रहे थे। एक सात साल का बच्चा झूले पर बैठा था और एक पांच साल की लड़की अपनी बारी आने का इन्तजार कर रही थी। तभी एक युवक आया और उसने उस बच्ची को टॉफी दी और साथ ही और टॉफी देने के बहाने पास बुलाया। वह बच्ची लालच में उसके पास चली गयी। वह उसे गोद में उठा कर चलता बना। ये देख उस बालक को उस पर संदेह हुआ कि उसने सिर्फ उस बच्ची को ही टॉफी क्यों दी उसे क्यों नहीं ,उसने युवक का पीछा किया। जहाँ वह बच्ची को ले कर गया। फिर भागता हुआ घर आया और अपने परिवार को सब कुछ बताया। सारे परिवारजन एक साथ इकठ्ठा हो कर उस स्थान पर पहुंचे तो पाया की वह युवक उस बच्ची के साथ जबरदस्ती करने का प्रयास कर रहा था। बच्ची रो रही थी इस कारण वह सफल नहीं हो पाया। बच्ची बचा ली गयी। अच्छा लगा। उस बालक की सूझ बूझ और त्वरित कार्यवाही से बच्ची की जान बच गयी। ये एक घटना है।
अब दूसरी देखें जोधपुर के ही पास एक गावों में एक
मजदूर परिवार के बड़े काम पर गए थे। घर पर दो बच्चियां ही अकेली थी। दोनों ही छोटी थी।तकरीबन 6 से 8 साल की। तभी पास का ही एक प्रौढ़ आया और छोटी बच्ची को पैसे दे कर टॉफी लेने और अपनी दीदी के लिए भी लाने को कहा। वह बच्ची पैसे ले कर बाहर निकल गयी। तब उस व्यक्ति ने घर पर रही उस बच्ची के साथ जबरदस्ती शुरू कर दी। टॉफी का लालच त्याग कर उस बच्ची ने दुर्घटना की गंध सूंघी और तभी वह छोटी बच्ची अपने पडोसी को साथ ले कर आ गयी और उसने अपनी बड़ी बहन को बचा लिया। इसे सूझबूझ नहीं तो और क्या कहेंगे जो अब बच्चों में आ रही है। शुक्र है की अब वह हमारी बात समझते हैं। कौन अपना है और कौन पराया ये पहचान रहें हैं। यही सोच अब सभी बच्चों में विकसित होनी चाहिए। धन्यवाद उस ईश्वर का जो अब हमारे बच्चे इस बात को समझ और आदत में ल रहें हैं।
कुछ अच्छा सुनो तो वाकई दिल को बहुत सुकून मिलता है। ये अहसास
होता है कि कही कुछ तो अच्छा हो रहा है जिस पर ये दुनिया कायम है। अभी पिछले ही लेख में मैंने बच्चो को अच्छा बुरा समझाने और उन्हें सही गलत की पहचान कराने की सलाह से रूबरू करवाया था। आज उसी से जुडी घटनाओं ने ये अहसास कराया की अब हमारे बच्चे बड़े हो रहे हैं समझ रहें हैं। अच्छे बुरे की पहचान कर रहें हैं। जोधपुर के पास की ही जगह की घटना है। एक पार्क में कई बच्चे खेल रहे थे। जिसमें से कुछ बच्चे झूला झूल रहे थे। एक सात साल का बच्चा झूले पर बैठा था और एक पांच साल की लड़की अपनी बारी आने का इन्तजार कर रही थी। तभी एक युवक आया और उसने उस बच्ची को टॉफी दी और साथ ही और टॉफी देने के बहाने पास बुलाया। वह बच्ची लालच में उसके पास चली गयी। वह उसे गोद में उठा कर चलता बना। ये देख उस बालक को उस पर संदेह हुआ कि उसने सिर्फ उस बच्ची को ही टॉफी क्यों दी उसे क्यों नहीं ,उसने युवक का पीछा किया। जहाँ वह बच्ची को ले कर गया। फिर भागता हुआ घर आया और अपने परिवार को सब कुछ बताया। सारे परिवारजन एक साथ इकठ्ठा हो कर उस स्थान पर पहुंचे तो पाया की वह युवक उस बच्ची के साथ जबरदस्ती करने का प्रयास कर रहा था। बच्ची रो रही थी इस कारण वह सफल नहीं हो पाया। बच्ची बचा ली गयी। अच्छा लगा। उस बालक की सूझ बूझ और त्वरित कार्यवाही से बच्ची की जान बच गयी। ये एक घटना है।
अब दूसरी देखें जोधपुर के ही पास एक गावों में एक
मजदूर परिवार के बड़े काम पर गए थे। घर पर दो बच्चियां ही अकेली थी। दोनों ही छोटी थी।तकरीबन 6 से 8 साल की। तभी पास का ही एक प्रौढ़ आया और छोटी बच्ची को पैसे दे कर टॉफी लेने और अपनी दीदी के लिए भी लाने को कहा। वह बच्ची पैसे ले कर बाहर निकल गयी। तब उस व्यक्ति ने घर पर रही उस बच्ची के साथ जबरदस्ती शुरू कर दी। टॉफी का लालच त्याग कर उस बच्ची ने दुर्घटना की गंध सूंघी और तभी वह छोटी बच्ची अपने पडोसी को साथ ले कर आ गयी और उसने अपनी बड़ी बहन को बचा लिया। इसे सूझबूझ नहीं तो और क्या कहेंगे जो अब बच्चों में आ रही है। शुक्र है की अब वह हमारी बात समझते हैं। कौन अपना है और कौन पराया ये पहचान रहें हैं। यही सोच अब सभी बच्चों में विकसित होनी चाहिए। धन्यवाद उस ईश्वर का जो अब हमारे बच्चे इस बात को समझ और आदत में ल रहें हैं।
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