अभिशाप : 😔







अभिशाप :                              ••••••••••• 

 कुछ ऐसा ही महसूस हुआ जब ये समाचार पढ़ा और समझने का प्रयास किया कि आखिर किस बिनाह पर हम बेटी पैदा होने की खुशी मनाएं ।आज कल सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की योजना जोर शोर से चलाई जा रही है ।इस योजना के तहत बेटा  पैदा होने पर अस्पताल व सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है । जो कि बच्ची के नाम उसके भविष्य के लिए जमा कर दी जाती है । बच्ची पहले जन्म ले ,पढ़े , बढे ये अच्छी सोच है ।पर इन सब सोचो और योजनाओं का कत्ल करने के लिए एक विकृत सोच हमेशा भारी पड़ी है ।  वो है बेटियों को समय से पहले कुचलने की सोच ।                                    एक मजदूर औरत एक निर्माणाधीन ढांचे में अपने  चार वर्षीय बेटे और सात माह की बेटी को कपड़े के झूले में डालकर काम कर रही थी । पति भी कही काम में लगा हुआ था । बेटे को बेटी  की रखवाली का कह वो अपना काम ईमानदारी से कर रही थी । दोपहर खाने की छुट्टी के बाद जब पुनः काम पर गयी तब तक बच्ची खेलती मुस्कुराती  गुड़िया सी लग रही थी । लेकिन फिर सब कुछ बदल गया । कुछ नशेड़ी युवक आये और बच्ची को झूले से निकल कर ले गए । मात्र सात माह की बच्ची , अनजान भोली और बहुत ही कोमल । उसमें मज़ा ढूढने के लिए उन्होंने उसे अधमरा कर दिया । आवाज़ ना कर सके इस लिए मुँह पर कपड़ा बांध दिया । उस के छोटे से शरीर से उन्होंने वो सुख उठाने की कोशिश की जो एक वयस्क शरीर की मांग होती है ।  हाय रे वो छोटी सी मासूम बच्ची । क्या कसूर था उसका ये कि उसने सिर्फ नोचे जाने के लिए जन्म लिया था , ये कि वो एक मजदूर माँ की बेटी है , ये कि उसका शरीर ईश्वर की कृपा से पुरुष के मनोरंजन के लिए ही गढ़ा गया था ।  ये प्रश्न है पर इसका जवाब योजनाएं बनाने वाली सरकार के पास भी नही है ।                              

 जब उस माँ को पता चला और बच्ची को तलाशा गया । तब वो उसी बिल्डिंग के दूसरी ओर लहूलुहान मिली। डॉक्टर के पास ले जाने पर पता चला कि कम से तीन या चार लोगों ने उसके साथ वहशियाना हरकत की ।जिसका परिणाम यह निकला कि उस बच्ची के अंदरूनी अंग इतने ज्यादा चोटिल हो गए कि वह आजीवन के लिए उन अंगों को सुचारू रूप से चलने को तरस जाएगी । शारीरिक ,मानसिक और सामाजिक रूप से अपाहिज बच्ची जन्म ले कर अपने परिवार पर बोझ बन गई ।  ये  सच है और इस से आज हर बच्ची के माता पिता जूझ रहे हैं ।  समझ नहीं आता कि जो प्रक्रिया सृष्टि को बनाये रखने के लिए ईश्वर ने गढ़ी थी उसे पुरुष ने मनोरंजन और टाइम पास का साधन क्यों मान लिया । क्यों उसे जन्म के बाद से ही एक बच्ची में अपने सुख पाने के लक्षण दिखने लगते है । यह एक विडंबना है और यही सच है ।अब किस बिनाह पर बेटी होने की खुशी मनाये ?

★★★★★★★★★★★★★★★★





Comments