सृजनात्मक कल्पनाशीलता से बदलेगा भारत का रूप ।
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आज 15 अगस्त है । एक बहुत ही अच्छी और सही बात पढ़ी है , आप लोगों से जरूर बांटना चाहूँगी । वो ये कि " जिनके पेट खाली हैं वो लोग तो झंडे बेच रहे हैं । जिनके पेट भरे हुए हैं वो देश बेच रहे है ।" क्या कहना चाह रही हूँ समझ गए होंगे । यही त्रासदी है उस देश की जिसे गर्व से हम सब अपना कहते हैं । इंसान पेट से ज्यादा न तो खा सकता है ना ही पचा सकता है । फिर भी जोड़तोड़ की जुगत में लगा रहता है । जीवन का एक सबसे बड़ा रहस्य आज तक हम समझ नही पाए कि अपने लिए करने से ज्यादा महत्व उस चीज का है जो हम दूसरों के लिए सोचते या करते हैं । हमने सिर्फ अपने लिए ही करना सीखा । जो जगह हमें दी गई लोगों की सहूलियत के लिए उसे भी हमने अपनी बपौती बना कर उसके पूरे फायदे का मज़ा लिया । शायद यही वजह है कि भरे पेट वाला अपना पेट कभी भी खाली न होने देने के लिए दूसरे के पेट की रोटी भी काट देना जरूरी समझता है । जबकि खाली पेट वाला तो वैसे ही खाली पेट है । यदि वह कुछ और बुरे की आशंका भी कर भी ले तो भी कौन सा पेट की स्थिति बदल जाएगी । इस लिए वो ज्यादा डर में जीते है ।जिनका पेट भरा है । एक और quote पढ़ा था , मैं जेबों में नोट लिए बरसात से बचता रहा वो सिक्कों की खनखनाहट के साथ बच्चा बन बारिश के मजे लेता रहा । यह सच याद भी रखना पड़ेगा और साथ ही मानना भी । तभी एक ऐसे भारत का निर्माण होगा क्योंकि इस हक़ीक़त के खिलाफ एक ही हथियार है वो है सृजनात्मक कल्पनाशीलता ।
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आज 15 अगस्त है । एक बहुत ही अच्छी और सही बात पढ़ी है , आप लोगों से जरूर बांटना चाहूँगी । वो ये कि " जिनके पेट खाली हैं वो लोग तो झंडे बेच रहे हैं । जिनके पेट भरे हुए हैं वो देश बेच रहे है ।" क्या कहना चाह रही हूँ समझ गए होंगे । यही त्रासदी है उस देश की जिसे गर्व से हम सब अपना कहते हैं । इंसान पेट से ज्यादा न तो खा सकता है ना ही पचा सकता है । फिर भी जोड़तोड़ की जुगत में लगा रहता है । जीवन का एक सबसे बड़ा रहस्य आज तक हम समझ नही पाए कि अपने लिए करने से ज्यादा महत्व उस चीज का है जो हम दूसरों के लिए सोचते या करते हैं । हमने सिर्फ अपने लिए ही करना सीखा । जो जगह हमें दी गई लोगों की सहूलियत के लिए उसे भी हमने अपनी बपौती बना कर उसके पूरे फायदे का मज़ा लिया । शायद यही वजह है कि भरे पेट वाला अपना पेट कभी भी खाली न होने देने के लिए दूसरे के पेट की रोटी भी काट देना जरूरी समझता है । जबकि खाली पेट वाला तो वैसे ही खाली पेट है । यदि वह कुछ और बुरे की आशंका भी कर भी ले तो भी कौन सा पेट की स्थिति बदल जाएगी । इस लिए वो ज्यादा डर में जीते है ।जिनका पेट भरा है । एक और quote पढ़ा था , मैं जेबों में नोट लिए बरसात से बचता रहा वो सिक्कों की खनखनाहट के साथ बच्चा बन बारिश के मजे लेता रहा । यह सच याद भी रखना पड़ेगा और साथ ही मानना भी । तभी एक ऐसे भारत का निर्माण होगा क्योंकि इस हक़ीक़त के खिलाफ एक ही हथियार है वो है सृजनात्मक कल्पनाशीलता ।
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