अय्याश, ढोंगी और नाटकबाज बाबाओं की अंधभक्ति !
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देश के एक नामचीन कथित बाबा यानी सन्यासी को 20 वर्ष की सजा सुनाई गई । आरोप है साध्वियों के साथ बलात्कार । लगातार 15  वर्षों तक इस लड़ाई से जूझते हुए ये फैसला सामने आया ।  परन्तु क्या ये सेशन कोर्ट का फैसला इसी स्तर पर कायम रह पायेगा । क्या आगे हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट में भी इसी तरह के ईमानदार , कर्तव्य के प्रति जागृत, सही गलत की पहचान रखने वाले और सबसे बड़ी बात कौड़ियों के भाव अपना जमीर ना बेचने वाले जज मिलेंगे क्या ?  क्या कभी किसी ने ये सोचा कि पिछले 15 सालों की इस जद्दोजहद में लड़ाई करने वालों ने कितनी तकलीफें सही होंगी और क्या कुछ नही खोया होगा ? फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है यही एक बात ने उस हौसले के जज़्बे को जिंदा रखा ।
                                         मैं भी सभी की तरह ईश्वर को मानती हूँ । पर इस के लिए मुझे किसी माध्यम की जरूरत नहीं ।  उन अंधभक्तों की तरह ,  जो देखते-समझते और जानते-बुझते ऐसे व्यक्ति को अपना भगवान मान बैठते है जिन में ईश्वर जैसे कोई लक्षण नही है , मैं अंधी नही बन पाती । मेरे लिए मेरे पूजा घर में रखी एक मूर्ति या फ़ोटो ही मेरा पूरा संसार है । मेरे दुख ,सुख , सब उन्ही से जुड़े हैं । प्रसाद चढ़ाओ या नहीं , वो बदले में कुछ नही माँगतें । न ही अपनी अधिक सेवा की मांग , न ही अधिक चढ़ावे की , न बेटियों की अस्मत की भेंट, न ही श्रद्धा को साबित करने की जिद । यही सही मायनों में भक्ति है । लेकिन भारतवासियों की सबसे बड़ी समस्या ही ये है कि इन्हें कोई बहकाने वाला मिल जाए तो ये अपनी बुद्धि ताक पर रख देतें है ।
             रामपाल , राधे माँ , आसाराम , राम रहीम जैसे नाम इन अंधभक्त भारतवासियों के कारण ही प्रकाश में आये । ये समझना जरूरी है कि हर जीवित प्राणी जन्म के साथ ही अपने पूरे जीवन का लेखा जोखा ले कर ही पैदा होता है । फिर क्यों हमें अपने दिनमान सुधारने के लिये ऐसे ढोंगी , अय्याश और नाटकबाज बाबाओं की जरूरत पड़ती है । हम क्यों नही समझ पाते कि हमारी श्रद्धा उनके दिनमान बेहतर बनाने में प्रयोग हो रही है ।  हम तो वही जिंदगी जी रहें हैं जो ईश्वर ने हमारे हाथ की लकीरों और मस्तक की रेखाओं में लिख कर भेज दी है । इसको पुनः बनाने या संवारने में इन कथित बाबाओं के कोई योगदान नहीं है ।  ये भावनाओं से खेलने की काबिलियत बखूबी जानते हैं । इसी लिए बाबा बन कर लोगों के दिल, जिस्म ,संपत्ति और सोच सभी को अपने काबू में रखने लगते हैं ।

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