आस्तीन के नाग ही डसने को तैयार........!
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धन्य है वह सैनिक ,जो अपने पद और सम्मान की गरिमा गिरा कर इस तरह का काम करते हैं। कम से कम उस शपथ की तो लाज रखनी चाहिए। जो उन्होंने ये नौकरी में लगते समय खाई थी। अगर वो भी यूँ ही बेमतलब सी है तो कम से कम उन बच्चियों की उम्र का लिहाज तो किया जाना चाहिए। अगर ये भी वजह चिंतन योग्य नहीं तो ये तो सोचनीय है की उन्हें किस मौके पर बुलाया गया था। भारतीय होने के नाते उन्हें रक्षाबंधन का महत्व ना पता हो ये सही नहीं होगा। व्यक्ति आजकल सिर्फ पुरुष ही बन कर रह गया है। उसके अंदर से वह सभी रिश्ते खो गए है जो एक पुल्लिंग द्वारा इस समाज को मिलते हैं। उन सभी रिश्तों पर उसकी व्यक्तिगत भावनाएं इस कदर हावी हो गयी हैं कि उनकी मान मर्यादा सभी कुछ नगण्य सा हो गया है।
नव नियुक्त सैनिक जिनके जोश की जरूरत सामजिक कुरितियों को सँभालने और रोकने के लिए होती है वह अपने जोश और क्षमता का इस तरह उपयोग करे , यह शर्मनाक ही नहीं घृणित है। अब किस तरह बेटी वाले अपने परिवार की सुरक्षा को महफूज़ माने ।
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