संवरना  ....!
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कमी नहीं है विकल्प की बिखरने के लिए ,
सिर्फ एक संकल्प काफी है संवरने के लिए। 
सब्र करना सीख ले ऐ इंसान अब तो ,
आसमां के पास भी खुद की जमी नहीं है, 
दो पल रुक कर ठहरने के लिए। 
झट से बदल लेना रिश्तों को लिबास कि तरह ,
इतनी हैसियत जरूरी नहीं उभरने के लिए। 
बरसों चलते रहें ,जुड़ें रहें ये ही काफी है ,
बस थोड़ी सा धैर्य चाहिए समझने के लिए। 
बहुत सरल है यूँ ही किसी की पसंद बन जाना ,
मुश्किल है उसकी पसंद बन टिकने के लिए। 
समझौतों को शिद्दत से निभाया जाता हैं ,
किसी के दिमाग से दिल तक पहुँचने के लिए। 
व्यथित करने वाली यादों के पुलिंदें को ,
हौसला चाहिए हमेशा को खुरचने के लिए। 
पंछी भी हिम्मत नहीं छोड़ता है ,
बार बार गिर कर भी फुदकने के लिए। 
कोमल होना आवश्यक है बहुत ,
एक डाली को लचकने के लिए। 
अरसा गुजर जाता है यूँ तो कभी 
किसी अपने की सोच को बदलने के लिए। 
कीमत बढाओ अपनी सोने सा बन कर ,
महंगे हो जाओ ,दमकने के लिए।  
रिश्तों को तितली सा बना कर रखो जिसे ,
हर कोई बच्चा बन भागे पकड़ने के लिए। 










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