शख्सियत......... !
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ऐब और खूबियां दोनों ही,
समाई हुई है मुझमें।
बेहतर तलाश सको,
क्या ये हुनर है तुझमें ?
क्यों सीख नहीं पा रहें है,
सिर्फ मीठा ही बोलना।
कड़वे सच की परछाइयाँ ,
क्यों देखी मैंने सबमें।
परख से परे है शख्सियत ,
मेरी पहचान लो अगर।
रंजिशें दफ़न है अनगिनत ,
इस अधखुले से लब में।
इस अनोखी दुनिया ने ,
परायापन ही दिया इनाम।
सिर्फ एक जगह ही पाया ,
अपनापन , उस रब में।
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ऐब और खूबियां दोनों ही,
समाई हुई है मुझमें।
बेहतर तलाश सको,
क्या ये हुनर है तुझमें ?
क्यों सीख नहीं पा रहें है,
सिर्फ मीठा ही बोलना।
कड़वे सच की परछाइयाँ ,
क्यों देखी मैंने सबमें।
परख से परे है शख्सियत ,
मेरी पहचान लो अगर।
रंजिशें दफ़न है अनगिनत ,
इस अधखुले से लब में।
इस अनोखी दुनिया ने ,
परायापन ही दिया इनाम।
सिर्फ एक जगह ही पाया ,
अपनापन , उस रब में।
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