बस अच्छे हैं

बस अच्छे हैं :         

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कैसे हो तुम...जब भी तुमने ये सवाल पूछा

हर बार बस हमने ठीक ही बताया 

हालांकि ऐसा जवाब ना देने को कई बार

मेरे दिल ने मुझे रह रह के समझाया

पर हम जो ठहरे निरे बेवकूफ़ जो बस तुझे 

दुःख नहीं देना चाहते थे तभी

झूठ बोलकर सब कुछ अच्छा होना दिखाया

दिल में दर्द के सौलब उठते रहे पर

आंखों ने आंसूओं के हर कतरे को छुपाया

हमारे हिस्से में तुम नहीं थे इस सच ने

हमको गलत साबित कर कितनी बार हराया

हर रिश्ता हमेशा मुक्कमल नहीं होता

बस होता है उनकी यादों का धुंधला साया

हम ही शायद सही नहीं थे तेरी नज़र से

फिर भी तुमको हर बार खुद से बेहतर बताया !

                    ~ जया सिंह ~

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