ज़िन्दगी से मुलाकात

ज़िन्दगी से मुलाकात :                        ****************

चल ज़िन्दगी आज बैठकर थोड़ी बात करते हैं

जो कुछ पीछे रह गया उससे फ़िर से मुलाकात करते हैं

बहुत कुछ थामने के लिए बाहें खोले बैठे हैं

थोड़ा थोड़ा ही सही उन्हें समेटने की शुरुआत करते हैं

माना आज कांपते हुए हाथों में दम नहीं है

फिर भी आगोश में थामने की कोशिशें इफ़रात करते हैं

कुछ गपशप करके हम अपनी कहे तुम अपनी

चलो मिलकर आज अभिव्यक्तियों की बरसात करते हैं

अब तक तुम कहती रही हमने सुना और जिया

अब तुमको कुछ अपनी सुनाकर बराबर अनुपात करते हैं

तूने सब कुछ पहले से निश्चित करके रखा है

तो चलो कुछ खुराफ़ात मिलकर अकस्मात करते हैं

ज़िन्दगी की शामें ढलकर अब बोझिल हो रहीं

बस इक तेरे साथ देने से उनको उजली प्रभात करते हैं

                  ~ जया सिंह ~

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