कुछ अच्छा करते हैं
अच्छा अच्छा सोचकर
उसमें खुशनुमा रंग भरते हैं
हमारी खुशियाँ हमारे ही हाथ में है
जो पल मिल रहा उसे भरपूर
जीकर सुहाना करते हैं
बसंत की सोचोगे तभी फूल खिलेंगे
पतझड़ का रोना रोने में तो
बस मुरझाए पत्ते झरते हैं
सुख दुःख के आने जाने मे जीना है
चलो दिल के हर जख्म पर
सुकूँ का मरहम धरते हैं....!
~ जया सिंह ~
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