मेरी कमियां, मेरी पहचान

मेरी कमियाँ, मेरी पहचान

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मेरी कमियों को मेरी रहने दो पहचान

तुम्हें शौक है तुम बन जाओ भगवान

जीवन है तो गलतियां भी होती रहेंगी

बेहतर है...इनके साथ बने रहे इंसान

जिंदगी है तो मुश्किलें भी आती रहेंगी

उनको जीकर ही सबक सीखेंगे कई

उम्मीदें जब कभी टूटकर बिखरने लगे

तो तनिक मजबूत रखो अपना ईमान

यादें अमूमन बेहद तकलीफ़ देती हैं

रात गई बात गई वाली सोच संग रखो

इसे याददाश्त की कमज़ोरी मानकर ही

अपने भुल्लकड़पन में बनाये रखो जान

शायद भगवान बनकर हम जिंदगी की 

खूबियों को जीने से महरूम हो जाएंगे 

परिपक्वता और बेहतरी के आदर्श बन

मौलिक शख्सियत को करेंगे कुर्बान..!

      ~ जया सिंह ~

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