फिट रहने के लिए चोंचलेबाजी

फिट रहने के लिए चोंचलेबाजी :                  ***********************

आजकल ख़ुद को फिट और तंदुरुस्त रखने के लिए लोग पच्चीसों टैन्टर्म अपना रहे हैं। कभी ये diet तो कभी वो। कभी ये खाओ तो कभी वो। ऐसे खाओ। इतना खाओ वग़ैरह वग़ैरह। आखिर ये सब करने की जरूरत पड़ती क्यों हैं ? ? ? क्योंकि पहले तो बाहरी अंट शंट और फ़ास्ट फ़ूड के स्वाद के वशीभूत होकर सेहत बिगाड़ लेते हैं। फिर उसे सुधारने के लिए ये सब करते हैं। 

इस तरह की खानपान की योजनाएं अक्सर फिल्मस्टार ज्यादा बनाते हैं।क्योंकि उनकी तो रोजी रोटी ही उनके फिट और खूबसूरत दिखने पर चलती है। दूसरे उनको इस diet plan को अपनाने के लिए कोई खुद से मेहनत नहीं करनी पड़ती। बस order दो...हर चीज़ हाथ में हाज़िर। उन्हें भी मीठा तीखा या मसालेदार भोजन सभी की तरह पसन्द आता होगा। पर वो त्याग अपने रोजगार के लिए करते हैं इसलिए वो बाध्य होते हैं।

हम और आप को कोई ऐसी बाध्यता नहीं होती। हम बस फिट रहने तंदरुस्त रहने और अच्छे दिखने के लिए ये करते हैं। mostly कई तरह के diet plans आजकल चलन में हैं जैसे....

Monotrophic diet -  ये एक प्रकार का diet plan है जिसमें एक ही गुण का भोज्य पदार्थ एक निश्चित अवधि तक खाया जाता है जिससे दूसरे अन्य अवययो से दूरी बनी रह सके। इसमें एक ही खाद्य समूह की दो चार चीज़ों का चयन करके बस वही खाते हैं। जैसे केवल फल , केवल सब्जियां या केवल मांसाहार आदि। पर इसे भी खाते या पकाते समय दूसरी कितनी तरह के अवयव mix हो रहे हैं। इसका ध्यान रखा जाता है। ये diet plan बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। इससे शरीर में पोषक तत्वों का अनियंत्रण हो जाता है। 

Intermittent Fasting -  इस diet plan में दो भोजन के बीच एक निश्चित अवधि का अंतराल रखा जाता है। जिससे पहला भोजन पच जाए और पेट को थोड़ी राहत महसूस होए। ये एक साइकिल है जिसमें उपवास और भोजन के बीच 8 घण्टे 12 घण्टे 16 घण्टे की दूरी ररखी जाती है। 

Keto diet - इस plan में कार्ब्स बहुत कम खाये या avoid ही किये जाते हैं। और good fat भरपूर लिया जाता है।   mostly कार्ब्स ही मोटापे का कारण बनते हैं इसलिए उनको कम या छोड़कर दूसरी fiberes चीज़ें खा कर शरीर को उसकी पूर्ति दी जाती है। 

Vegan diet -  ये मूलतः शाकाहारी diet plan है। जिसमें सभी पशु उत्पाद छोड़ दिये जाते हैं। जैसे दूध पनीर मांसाहार अंडा वग़ैरह। जो भी खानपान की चीजें पशु द्वारा प्राप्त हो रही वो सभी चीजें छोड़ दी जाती है। बस जमीन से उपजा उत्पाद ही ग्रहण किया जाता है। हालांकि ये एक अच्छी diet है। फिर भी इसके निरंतर उपयोग से शरीर में कई तरह के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। क्योंकि दूध या उससे बने तमाम पदार्थ प्रोटीन कैल्शियम का rich source होते है। 

अब बात करते हैं कि इस तरह के diet plan की आख़िर जरूरत ही क्यों पड़ती हैं ? ? हमारे पुरखे तो बिना किसी diet plan और परहेज के घर की सभी चीजें खा कर सेहतमंद रहते थे और ख़ूब मेहनत भी कर पाते थे। दूध दही घी छाछ मक्खन हरी सब्जियां दाल रोटी चावल यही सब तो उनका भोजन था। जिसके जरिये उनको शरीर की जरूरतों का सारा पोषण मिल जाता था। आज ऐसा क्या जो गया कि हमें अतिरिक्त प्लानिंग या precaution की जरूरत पड़ रही है। 

इसका एक प्रमुख कारण है उटपटांग दिनचर्या और असमय खाना। खाना कितना भी healthy हो पर वह गलत समय खाया जाए तो शरीर को नहीं लगेगा। ईश्वर ने दिन रात बनाकर जीवन का एक नियम निर्धारित किया है। एक निश्चित समय जागना एक निश्चित समय सोना। सुबह का नाश्ता दोपहर का खाना और रात का खाना ये सब समय पर खाया जाए तो शरीर को उसे स्वीकारने में सहूलियत होती है। और एक तय अंतराल के बाद वो भी अगला meal लेने को तैयार होता है। बस यही अंतर है आज की पीढ़ी और पुराने लोगों की दिनचर्या में। 

कोई जरूरी नहीं कि शरीर को ये diet plans दिए जाएं। बस healthy खाओ , समय पर खाओ और संतुलित खाओ। इतना ही शरीर हमसे स्वस्थ रहने के लिए मांगता है। 

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