बक्श दो मासूमों को

 बक्श दो मासूमों को :                              *****************

बहुत दुःख होता है जब किसी अबोध बच्चे या बच्ची के साथ अनैतिक आचरण किया जाता है। हालांकि एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 60 से 70 प्रतिशत बलात्कार सोची समझी रणनीति का परिणाम है। शायद कोई बदले की भावना या खुद को बड़ा या ऊँचा दिखाने की कोशिश, खुद को इग्नोर किये जाने का भ्रम, अपनी बात को तवज्जो न दिए जाने की जलन वग़ैरह वग़ैरह। लेकिन इस से परे अगर किसी छोटे बच्चे के साथ ये हरकत होती है तो वो पूरी तरह खुद की सेक्स इच्छाओं पर काबू ना कर पाने की परिणीति होती है। शायद कोई गंदा वीडियो देखने का परिणाम या अविवाहित अकेले होने की स्थिति। छोटे बच्चों को इस घृणित कृत्य में प्रयोग करना विकृत मानसिकता का द्योतक है।

अभी हाल ही में राजस्थान के ही एक जिले में 4 वर्ष की छोटी बच्ची के साथ विभत्सता की गई। जिससे बच्ची की मृत्यु तक हो गई। बच्ची का पिता मजदूर था। उसने पैसों के लिए अपनी बच्ची को दूसरे मजदूरों को सम्बन्द्ध के लिए देना शुरू किया। कुछ दिन तो बच्ची ने झेला। परन्तु जब एक ही दिन में दो तीन बार या सब होने लगा तो एक बार ज्यादा ज्यादती होने पर बच्ची तकलीफ़ से मर गयी। चंद पैसों के लिए पिता ने अपनी मासूम बच्ची को मार दिया। 

ये बात आज तक समझ से परे है कि बच्चों से इस सुख की अपेक्षा क्योंकि ही कि जाती है। इसी तरह की घटनाओं से जुड़ा एक और यौन अपराधी जेफ़री एडवर्ड एप्सटीन न्यूयॉर्क शहर का निवासी था। जिसने अपना सामाजिक दायर सिर्फ इस लिए बढ़ाया ताकि वह बच्चों के साथ यौन शोषण कर सके और करवा सके। उसके खिलाफ कई माता पिता ने अपनी बच्चियों के यौन शोषण की शिकायत दर्ज करवाई थी। वह नाबालिकों की यौन तस्करी भी करता था। जिससे बड़े लोगों से बड़ी रकम उगाही जा सके। वेश्यावृत्ति के लिए छोटी बच्चियों को उठाना और उन्हें धंधे में धकेल देना भी उसका पेशा था। कुछ वर्ष पहले ही अपने किये की सजा काटने के दौरान जेल में उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 

अब इस घटना में ये समझने की कोशिश करते हैं कि पीड़ितों का इसमें क्या दोष था ? ? क्योंकि जिस भुक्तभोगी को ये ही नहीं पता कि उसके साथ क्या होने वाला है या हो रहा है वो इसका जिम्मेदार कैसे हो सकता है। अमूमन बच्चे soft target होते है। जिन्हें आसानी से इस जाल में फंसाया जा सकता है। लेकिन उनकी जिंदगी खराब करने वालों को पता रहता है ना कि वो बच्चे के साथ क्या कर रहे हैं। शर्म है ऐसे समाज पर जहां ऐसी गंदी सोच वाले भी रहते हैं।

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