Switch Role Challenge
Switch Role Challenge :
••••••••••••••••••••••••••••••
अमूमन हम सभी अपने को, अपने काम को, अपने व्यवहार को, अपने व्यक्तित्व को ही प्राथमिकता देते हैं। वो इसलिए कि हम हमेशा खुद को सही ही समझते हैं। परंतु जब खुद को सही और दूसरे को गलत समझा जाता है तब ही रिश्तों में खटास पैदा होती है। हमेशा ये लगना कि हमारी तरफ से ज्यादा प्रयास होता हैं जबकि दूसरे कम करते हैं। ये भी रिश्तों को कमज़ोर करता है। बस अपने efforts दिखना और दूसरे के किये को ignore करना कभी कभी बेहद दुखदाई साबित होता है।
इस के लिए एक बहुत अच्छा उपाय है switch role challenge. अर्थात कुछ कुछ समय के लिए दो लोग एक दूसरे के role से अदला बदली कर लें। छोटे से उदाहरण से पहले इसे समझते हैं कि जैसे अगर पत्नी रोज सुबह उठकर चाय बनाती है। तो ये काम सुबह पति करना शुरू करके देखे।
Switch role से तातपर्य ये नहीं कि घर में रहने वाली स्त्री पति की जगह नौकरी पर जाए। और पति घर संभाले। क्योंकि दफ्तरी कार्य जो पति का है वो पति की कर सकता है। बस बात इतना सी है कि अक्सर पति कहते हैं कि घर में बैठकर औरतें दिन भर करती क्या है ? ? और पत्नी सोचती है कि पति को दफ्तर जाकर कुर्सी पर ही तो बैठे रहते हैं
तो मुख्य काम को छोड़कर छोटे मोटे बहुत से काम switch किये जा सकते हैं। जिससे कम से कम ये तो अहसास होगा कि इन कार्यों में भी समय और लगन लगती है। चुटकी बजाकर कोई भी काम नहीं होता। गृहस्थी में 25 सों काम होते हैं । मेरी नानी कहती थी कि घर कुएं के सामान होता है। काम निकालते जाओ। निकलता जाएगा। ऐसे में कोई औरत अगर कर्मठ हो तो वह पूरा दिन अपने घर को दे सकती है। इसी तरह आदमी दिनभर दफ्तर में बहुत से लोगों के अलग अलग व्यवहार का सामना करता है। बहुत बार झुकना भी पड़ता है। तो उसे भी मानसिक दबाव और थकान होती होगी। इसलिए ये आंकलन करना कि स्त्री ज्यादा करती है या पुरुष ज्यादा....ये मुश्किल बात है।
पर इस सब में अगर एक दूसरे के कार्य का weightage समझ आ जाये तो दूसरे को कमतर नहीं आंका जाएगा। और जब एक दूसरे के काम की imp समझी जाएगी। तो अपने आप सौहार्द स्थापित हो जाएगा। इसलिए कभी कभार ये switch role challenge करते रहना चाहिए।
◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
Comments
Post a Comment