
आरक्षण की बलि चढ़ता ये समाज कितनों को काल के ग्रास उतारेगा पता नहीं। समझ नहीं आता कि वाकई ये आरक्षण क्यों और किन के लिए है। सब से बड़ी बात कि इस आरक्षण का सहारा ले कर ऊपर चढ़ा व्यक्ति अपनी काबिलियत कैसे सिद्ध करेगा ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। आज स्थिति ये हो गयी है कि हमारे बच्चे जो कि एक सामान्य वर्ग में जन्में है अपने जन्म पर अफ़सोस कर रहें हैं। मेरी बेटी तो कहती है कि क्यों न मैं एक आरक्षित जाती वर्ग में विवाह कर लू , जिस से मैं ना सही मेरे बच्चों को तो हर जगह अपने जातिगत प्रमाणपत्र के आधार पर वरीयता मिल सकेगी।आज उसके 95 % आने के बाद भी मनचाहे कॉलेज में दाखिला नहीं मिला। जबकि उसकी सहेली जो ओ.बी.सी श्रेणी में आरक्षित होने के कारण 92 % पर दिल्ली के सबसे नामचीन कॉलेज में प्रवेश पा गयी। ये दर्द आज हर सामान्य वर्ग का छात्र ढो रहा है। और फिर समझ नहीं आता कि किस बात का आरक्षण ? उस लड़की का परिवार इतना धनवान है कि उनका शहर के बहुत ही पॉश इलाके में दोमंजिला घर है। दो या तीन बड़ी बड़ी गाड़ियां है। परिवार का अच्छा खासा चलता हुआ business है। फिर भी उसने ये आरक्षण का सहारा पा कर कई deserving candidates का हक़ मारा है।
आज गुजरात में पटेल भी आरक्षण की राह पर चल पड़े हैं। कुछ समय पहले राजस्थान में गुर्जर और जाट आरक्षण के लिए धरना , रेल रोको , और कई तरह के हथकंडे अपना चुके हैं। अगर 100 % में से सभी अपने अपने वर्ग के लिए आरक्षण की मांग कर ले तो मुझे नहीं लगता की सामान्य वर्ग के लिए कुछ भी प्रतिशत बचेगा। फिर वह कहाँ से पढाई और नौकरी में खुद को स्थापित कर पाएंगे। ये सरकारें भी खुद को सत्ता में बनाये रखने के जनता के आगे टुकड़े फेकने से बाज नहीं आती। जिस का खमियाजा आम जनता भुगतती है। मैंने कभी भी विदेशों में इस तरह के आरक्षण या विशेषण का मुद्दा नही देखा न ही सुना। अगर कभी देखने को मिला भी तो black and white के बीच की cold war जरूर सुनी है। वह भी उन देशों में जहाँ किसी एक समुदाय के लोग बहुतायत में हो। इस में भी ये जरूर देखा कि अगर काबिलियत है तो कोई भी व्यक्ति किसी भी पद को प्राप्त कर सकता है।
इस आरक्षण का एक और बुरा रूप देखिये। राजस्थान में CBSE Boards के बच्चों को कही भी दाखिला नहीं मिलता। क्योंकि RBSE( Rajasthan boards of secondary education ) के बच्चो के लिए सारी seats आरक्षित कर रखी है। इन का एक नियम है कि ये CBSE boards में प्राप्त percent को percentile में convert करते हैं। जिस से मेरी बेटी का 95%उनके 78 % के बराबर हो गया जिस के कारण उसे राजस्थान के किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिला। ये सब आरक्षण की ही माया है। जिस की वजह से अच्छे छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। और धनी ,संपन्न , सुखी और शायद नाकाबिल इस का लाभ उठा रहें हैं। धन्य है भारत देश और धन्य है यहाँ की सरकारें जिनके कानों पर जूं भी नहीं रेंगती। उनकी बला से कितने ही बच्चे अपने भविष्य से महरूम रहें , अपने अंधकारमय जीवन को ढोते रहें , काबिलियत के अनुसार भविष्य न मिलने पर frustration में आत्महत्या करते रहें , उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। उनकी रोटी सिकती रहनी चाहिए , बशर्ते वह काबिलियत की चिता पर सिक रही हो। हम एक आम नागरिक हो कर कर भी क्या सकते हैं ? अगर चीख चिल्ला कर भी अपनी तकलीफ कहने की कोशिश करेंगे तो ऊपर बैठे नेताओं के तमाम चमचों के द्वारा हमारा गला घोंट दिया जाएगा। तब न रहेगी आवाज न ही कोई मांग ………। आये हैं तो दुनिया में जीना ही पड़ेगा , जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा।
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