ईश्वरीय वरदान का वर्गीकरण ………!
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क्या आप मेरी इस बात से सहमत है कि माँ बनना एक ईश्वरीय वरदान है। और इस वरदान का इस बात से कोई लेन देना नहीं की संतान का कोख में आने का जरिया क्या था। क्या वह सामाजिक रीती रिवाजों से संपन्न हुई एक शादी के उपरांत पति पत्नी के समाज द्वारा स्वीकृत सम्बन्ध से आई है। या किसी युवती या बालिका के साथ जबरदस्ती किये हुए बलात्कार का परिणाम है।  एक कोख को संतान की उत्पत्ति के लिए क्या चाहिए ? एक अंडाणु (ovum) और एक शुक्राणु (sperm) . जिनके संयोग से वह भ्रूण की रचना करता है। और वही भ्रूण एक संतान के रूप में जन्मता है। इस बात को कहने का सन्दर्भ ये है कि किसी भ्रूण को पनपने के लिए सामाजिक रीती रिवाजों और नियमों की आवश्यकता नहीं होती। वह जैसे ही एक नियत समय और परिस्थिति में एक साथ होते है। अनकूल वातावरण में संयोग कर एक जीव विकसित करने लगते हैं। अब समझने वाली बात ये है कि यदि ये भ्रूण किसी दुर्घटना या जबरदस्ती के कारण पनपा हो तो उसे नाजायज या गैरकानूनी क्यों माना जाता है ? कोख का तो एक सीधा साधा उसूल है और उसी की राह पर चलते हुए वह अपना कार्य करती है। लेकिन हाय रे ये समाज जिसने माँ बनने के सौभाग्य को भी सामाजिक बंधनों में बाँध कर दुर्भाग्य और दुराचारिणी के नाम से पहचान दे दी है। स्त्री का माँ बनने के सौभाग्य को ईश्वर के समकक्ष समझा जाता है।                                                          मैं इस घटना का जिक्र पहले भी किसी आलेख में कर चुकी हूँ , एक बार फिर से करना चाहती हु। एक बार मंदिर में आरती के वक्त पहुँचने पर पुजारी ने सभी को आरती की थाल दी। सभी ने आरती में अपना योगदान दिया। मुझे थाल नहीं दी गयी ये मुझे अपमानजनक लगा। आरती समाप्त होने पर मैंने इस की वजह पंडित जी से पुछी तो उन्होंने जो कारण बताया उसे सुन कर मैं धन्य हो गयी। उन्होंने कहा कि इस समय तुम गर्भवती हो , और तुम एक नए जीव को जन्म देने वाली हो।  जैसे कि ईश्वर रचना करता है उसी प्रकार तुम भी एक जीव की  रचना कर रही हो। इस लिए इस समय तुम्हारी अवस्था ईश्वर के समतुल्य है और बराबर वाला कभी भी बराबर वाले की पूजा नहीं करता। सिर्फ प्रणामं करता है। ऐसे में ये सत्य मानना उचित होगा कि कोख के निर्माण को वैद्य या अवैद्य की श्रेणी में बांटना अनुचित है। परन्तु यदि उस भ्रूण को सहेजने वाली माँ उसे रखना या न रखना चाहे ये उसका निर्णय होना चाहिए।  उसे ये स्वतंत्रता मिलनी चाहिए कि वह अपनी कोख को अपनी इच्छा और ख़ुशी से इच्छित संतान के लिए प्रयोग कर सके। 

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