सत्य को स्वीकारों …………!
*पहले सपनों की वास्तविकता पहचानों ,
फिर किसी न मिलने वाले को अपना मानो।
*जब जब अकेले होगे तब पीड़ा पहचानोगे ,
एकांत के रास्तों पर भटकना जानोगे।
*मन की मन में ही रखकर फिर टूटोगे ,
जल जल कर दूसरों की खुशियां लूटोगे।
*सच से सामना ना कर के खो गए हो ,
जागते हुए भी यथार्थ में सो गए हो।
*वास्तविकता को स्वीकार कर जीयो ,
खुश रहने को कभी हलाहल भी पियो।
*सब यही है और यही रह भी जाएगा ,
साथ अपने बस अपना चरित्र आएगा।
*जो स्वप्न है उसके पीछे क्या भागना ,
जो सत्य है, सीखो उसके लिए जागना।
*ऐसी की कामना क्या करना जो दूर हो ,
करीब को अपना बनाने की जिद जरूर हो।
*हम अंदर से बदले तभी नयापन आएगा,
फिर हमें लेकर सही राह पर जीवन जायेगा।
*कोशिश कर के तो देखों सब बदल जाएगा ,
बेहतर खुद तुम्हारे कदमों में चल कर आएगा।
*पहले सपनों की वास्तविकता पहचानों ,
फिर किसी न मिलने वाले को अपना मानो।
*जब जब अकेले होगे तब पीड़ा पहचानोगे ,
एकांत के रास्तों पर भटकना जानोगे।
*मन की मन में ही रखकर फिर टूटोगे ,
जल जल कर दूसरों की खुशियां लूटोगे।
*सच से सामना ना कर के खो गए हो ,
जागते हुए भी यथार्थ में सो गए हो।
*वास्तविकता को स्वीकार कर जीयो ,
खुश रहने को कभी हलाहल भी पियो।
*सब यही है और यही रह भी जाएगा ,
साथ अपने बस अपना चरित्र आएगा।
*जो स्वप्न है उसके पीछे क्या भागना ,
जो सत्य है, सीखो उसके लिए जागना।
*ऐसी की कामना क्या करना जो दूर हो ,
करीब को अपना बनाने की जिद जरूर हो।
*हम अंदर से बदले तभी नयापन आएगा,
फिर हमें लेकर सही राह पर जीवन जायेगा।
*कोशिश कर के तो देखों सब बदल जाएगा ,
बेहतर खुद तुम्हारे कदमों में चल कर आएगा।
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