माँ की अपनी लाड़ली के लिए लोरी
माँ की अपनी लाड़ली के लिए लोरी
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{मेरी बेटी जब छोटी थी तो उसे मैं यही लोरी गा कर सुलाती थी। प्रेम और रस से भरी ये लोरी ममत्व की पहचान है }
संझा ढले पंखा झले मइया तुम्हारी ,
फूलों पे सो जा मेरी राजकुमारी।
चाँद का डोला है तो रेशम की है डोरी ,
तारों की नगरी में चली लाड़ली मोरी,
लागे लली तुझको मेरी उमरिया सारी,
फूलों पे सो जा मेरी राजकुमारी।
संझा ढले पंखा झले मईया तुम्हारी,
फूलों पे सो जा मेरी राजकुमारी।
चाँद से आ के पारियां झूला झुलावें ,
मीठी नींद सोये लली, लोरियाँ गायें ,
लगे लली तुझको मेरी दुआएं सारी ,
फूलों पे सो जा मेरी राजकुमारी।
सँझा ढले पंखा झले मईया तुम्हारी ,
फूलों पे सो जा मेरी राजकुमारी।
सपनों की दुनिया में भरी खुशियां सजावे ,
गोदी में सोये रही मंद मुस्काये ,
लागे लली "मुझको" तेरी बलाएं सारी ,
फूलों पे सो जा मेरी राजकुमारी।
संझा ढले पंखा झालें मईया तुम्हारी ,
फूलों पे सो जा मेरी राजकुमारी।
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