निरंतर सामंजस्य और संपर्क से सजगता............! 
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अभी हाल ही में  विदारक घटना ने पुरे शहर को हिला कर रख दिया।  एक नामी गिरामी स्कूल की एक बस  स्कूल छूटने के बाद सभी बच्चों को ले कर घर जा रही थी। बस करीब दो दशक पुरानी थी उसमें सरकार के निर्देशानुसार सभी जरूरी उपकरण भी नहीं लगे थे।  जैसे CCTV  कैमरा , speed controller या governor , सीट बेल्ट्स , आदि।  बस अपने रास्ते से जाते हुए अचानक सड़क पर बने डिवाइडर को तोड़ते हुए दूसरी तरफ से आ रहे तेज गति के एक ट्रक से टकरा गयी और फिर शुरू हुआ एक दर्दनाक हादसे के उपरांत मचा चीख पुकार। आगे बैठे सभी बच्चे और ड्राइवर काँच तोड़ कर बाहर फिक चुके थे। जिसमें से कुछ ने तो वही दम तोड़ दिया और पीछे बैठे तमाम बच्चे बुरी तरह घायल होकर शहर के विभिन्न अस्पतालों में अपने जीवन के लिए लड़ने लगे। ये एक ऐसा हादसा था जिसने स्कूली व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। 
            यह घटना मैंने एक चर्चा के लिए सामने रखी।  हम सभी चाहते है कि हमारे बच्चे एक बढियाँ और नामी स्कूल में पढ़ें।  इस पढाई को जारी रखने को अगर हमें अपने रोजमर्रा का खर्च में कटौती भी करना पड़े तो करते हैं। उद्देश्य ये होता है कि यदि बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़ कर निकलेगा तो उसके ज्ञान का स्तर ऊँचा होगा।  इससे आगे का भविष्य बेहतर बन पायेगा। ये हमारी सोच है।  इसी का फायदा स्कूल वाले उठाते हैं। अपने विज्ञापनों में वह तमाम मीठे लुभावनें वादें करके लोगों को अपनी और आकर्षित करते हैं। लेकिन आगे क्या.....????  एक लम्बी चौड़ी रकम फीस के रूप में भरने के बाद भी हम अपने बच्चों को घर से भेजने के बाद उनकी सुरक्षा के लिए स्कूल को जवाबदेह नहीं मान सकते। वह हर विपरीत परिस्थिति से पल्ला झाड़ने का तरीका पहले से ही सोच कर रखते हैं। ऐसे में क्या ये जरूरी है की बच्चा सिर्फ इस लिए घर से 15  से 20  किलोमीटर दूर भेजा जाए कि परिवार के लोग बड़े स्कूल में पढ़ाने के लिए गर्व की अनुभूति कर सकें। सोचिये कि  जिन परिवारों के बच्चें सड़क पर ट्रक से कुचल कर और कांच से लहूलुहान होकर , अस्त व्यस्त खून से  लथपथ  पड़ें होंगे क्या उन्होंने एक क्षण को ये अफ़सोस नहीं मनाया होगा की क्यों इतनी दूर के स्कूल में बच्चे को डाला  जो उसे आने जाने में इतने लम्बे रस्ते से गुजरना होता था। करीब का ही  स्कूल तलाशें और अपने बच्चे की काबिलियत निखारने के लिए खुद भी निरंतर स्कूल से खुद भी संपर्क बनाये रहें। अच्छे स्कूल के लिए दूर जाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है पास के ही स्कूल में अपने बच्चे और स्कूल की गतिविधियों के संपर्क में बने रहना। जिससे सामंजस्य स्थापित होकर विद्यालय भी बच्चे के लिए सजग बन सकेगा।    

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