एक अजन्मे बच्चे की पीड़ा....... !
{बलात्कार के उपरांत ठहरे गर्भ में भ्रूण की पीड़ा }

माँ मैं तो तुम्हारा हिस्सा हूँ
तुझसे ही निर्मित काया हूँ..... 
स्वीकार करो या ठुकराओ
मैं तो बस तेरी ही छाया हूँ। 
          मेरा अंश कहाँ से मिला तुझे 
         ये ज्वलंत प्रश्न ले आया हूँ...... 
         अपना वजूद तुझसे जोड़ा फिर  
         सब  क्यूँ माने मैं पराया हूँ। 
पहचान मेरी सिर्फ तुझसे नहीं  
यही जानकर के घबराया हूँ.... 
कहाँ से लाऊँ एक वो नाम 
जिससे ये जीवकोष पाया हूँ। 
        तेरे संग छल का परिणाम हूँ 
        कुलनाम के वास्ते सताया हूँ....... 
        अवैद्य की श्रेणी में छुपकर 
        पराये अंधेरों में मुरझाया हूँ। 
तू कह दे सब से मैं तेरा हूँ 
तेरे मातृत्व का कमाया हूँ....... 
तेरे रोम -रोम में बस कर ,
अहसास बन कर छितराया हूँ। 






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