सबका दिल रखा पर ....? ?😦
सबका दिल रखा पर ...? ?
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कभी सबका दिल रखा....
कभी सबके दुःख साझा किये ,
इसी कश्मकश में भूल कर....
अपने ही दर्द में उलझा किये।
ज़माने की फ़िक्र में बेफिक्र....
ताउम्र जिसको तलाशा किये ,
वही छोड़ कर चल देगा ये.....
अब जा कर समझा किये।
क्यों मृगतृष्णा सी चाह में.....
संगदिलों का पीछा किये।
निर्मम , बेरहमों से दूर.....
होकर अब अच्छा किये।
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कभी सबका दिल रखा....
कभी सबके दुःख साझा किये ,
इसी कश्मकश में भूल कर....
अपने ही दर्द में उलझा किये।
ज़माने की फ़िक्र में बेफिक्र....
ताउम्र जिसको तलाशा किये ,
वही छोड़ कर चल देगा ये.....
अब जा कर समझा किये।
क्यों मृगतृष्णा सी चाह में.....
संगदिलों का पीछा किये।
निर्मम , बेरहमों से दूर.....
होकर अब अच्छा किये।
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