बसंत आया.............!
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हर ओर बसंत छाया ,
बदली रुत ने काया।
हवाओं में मद आया,
सुख आनंद लाया।।
पीत रंग छितराया ,
सजन संग मनभाया।
सोन भई हर काया ,
सखीयों संग रंग जमाया।।
झूलों पर पेंग चढ़ाया ,
अमवा से ताल मिलाया।
टेसू ने रूप चमकाया ,
पीया को मीत बनाया।।
कोयल की कूक की माया ,
चंचलता को मन हर्षाया।
अब दिन धूप लगे हमसाया ,
बैरन रातों को मन घबराया।।
क्यों मौसम ने यूँ रंग जमाया ,
पुलकित मन से हाथ मिलाया।
पीली सरसों से ढंग चुराया ,
सखी देखो बसंत आया।।
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हर ओर बसंत छाया ,
बदली रुत ने काया।
हवाओं में मद आया,
सुख आनंद लाया।।
पीत रंग छितराया ,
सजन संग मनभाया।
सोन भई हर काया ,
सखीयों संग रंग जमाया।।
झूलों पर पेंग चढ़ाया ,
अमवा से ताल मिलाया।
टेसू ने रूप चमकाया ,
पीया को मीत बनाया।।
कोयल की कूक की माया ,
चंचलता को मन हर्षाया।
अब दिन धूप लगे हमसाया ,
बैरन रातों को मन घबराया।।
क्यों मौसम ने यूँ रंग जमाया ,
पुलकित मन से हाथ मिलाया।
पीली सरसों से ढंग चुराया ,
सखी देखो बसंत आया।।
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