मासूम से असह्य दर्द को कटघरे में खड़ा करने की व्यवस्था.......!  
--------------------------------------
ये सच है कि किसी भी कानून को बनाने के लिए सभी पहलुओं को समझना देखना और परखना पड़ता है। तभी उसे बाधाविहीन तरीके से समाज पर लागू किया जा सकता है।  पर जो भी अपराध सिर्फ महसूस करने भर से ही घृणित नजर आते हों उसे किस बिना पर नकार कर उसे जांच पड़ताल कमेटी को सौंप दिया जाता है। ये माना जा सकता है कि बलात्कार के कई वयस्क मामलों में स्त्रियां भी दोषी होती है। जो अपनी शारीरिक कमजोरी का फ़ायद उठा कर पुरुषों को बिना वजह फ़साने का कार्य करती हैं।  जिस वजह से पुरे मामले की गहराई से जांच पड़ताल होने के बाद ही फैसला सुनाया जाना जरूरी होता है।
                                       परन्तु दूसरी तरफ ये दुखद है कि एक मासूम बच्ची जो इन सभी प्रपंचों से विमुख है उसके केस में भी वही प्रक्रिया अपनाई जाती है। पहले इस बात का समझा जाना जरूरी है कि मेडिकल पुष्टि के बाद जब यह साबित हो जाए कि उस बालिका के साथ बलात्कार हुआ है और अमुक व्यक्ति दोषी है।  तब एक पूरी जांच पड़ताल की क्या आवश्यकता ?  वह छोटी सी बच्ची कौन सा षड़यंत्र कर के किसी दूसरे को अपनी बुद्धि से अनजान मामले में फंसाने की कोशिश करेगी। असह्य वेदना सहने वाली उस बच्ची का दर्द तो कम नहीं होगा इससे कि उस के अपराधी को सज़ा मिल जाए। पर आगे और बहुत सी बच्चियां इस अपराध के हत्थे चढ़ जाने से अवश्य बच जाएँगी। छोटी बच्चियों के इस मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के जरिये हफ्ते भर के ही अंदर करवा कर उक्त अपराधी को ऐसी कड़क सजा दी जाए जिससे आगे कोई एक छोटी बच्ची पर नज़र डालने से पहले सौ बार अपने अंजाम के बारे में सोचे। 
                           इस मामले में ईरान के एक शहर में एक युवक को बीच चौराहे पर लटका दिए जाने का विडिओ बहुत वायरल हुआ था।  जिसने एक छोटी बच्ची  बलात्कार किया था।  दो दिन तक उसे चौराहे पर रखा गया जिससे सभी उस जुर्म को करने के बाद की दहशत को महसूस कर सकें।  जरूरी है वरना आज जो हरियाणा राज्य में  191  गैंग रेप ,  996  बलात्कार , 1058  मर्डर  जैसा सभी जगहों पर आम होने लगेगा।  हमें अपनी छोटी बच्चियों की रक्षा करने के लिए दहशत पैदा करनी ही होगी।   








Comments