नेतागीरी के चोंचले ……!
आज कल दिल्ली में चुनावी माहौल के चलते काफी गहमा गहमी चल रही है।  तीनों पार्टियां एक दूसरे की खामियां गिनाते हुए अपने को ऊपर रखने का भरसक प्रयास कर रही हैं। इस लिए की उनकी सरकार बने और उनका व्यापार चले। यही सत्य है आज की राजनीति  का। आज राजनीति इस लिए की जाती है की अपनी आने वाली 10 पुश्तों का इंतजाम कर दिया जाए। साथ ही खुद भी एक lavishly लाइफ जी जा सके। वरना किसे  परवाह है आम जनता की। जो टैक्स भर के और तुम्हे चुनाव जीता कर उस मुकाम तक ले कर आये है। सभी पार्टियां जो की शुरुआत में ईमानदार होने का दावा करती रहती है सत्ता में आते ही अपनी जेबें भरने में लग जाती है।  उनके लिए वह हर रास्ता जायज होता है जो कि एक आम जनता के लिए कानून तोड़ने के दायरे में आता है। मैं किसी पार्टी के विरोध में यह नहीं कह रही बल्कि इस मानसिकता के विरोध की बात कर रही हूँ जो की ईमानदारी को खोखला बना रही हैं। 
                                       यूँ  तो मोदी जी खुद को एक चाय वाला कह कर प्रचारित करते हैं  और अपना बचपन गरीबी में गुजरने के कारण मजबूरियां समझने के दावा भी करते हैं।  पर ओबामा के आने पर उनके पहने सूट की कीमत 7. 5 लाख  ,इस दावे का खंडन करती है। क्या ये सही था ? खुद को एक गरीब   तबके का कहने वाला व्यक्ति एकाएक इस मानसिकता का कैसे बन गया कि सिर्फ दिखावे के लिए लाखों रुपये कपड़ों पर खर्च कर दिए जाएँ। यूँ माने तो राजनेताओं के लिए खादी का कुरता और पैजामा ही उपयुक्त पोशाक मानी जाती है। पर आज इसे कितने लोग धारण करते हैं। देखिये शास्त्री जी , गांधी जी जैसे भी लोग इस देश में थे। ये सिर्फ इसी पार्टी में नहीं बल्कि हर पार्टी के राजनेता की यही कहानी है। राजनीति में आते ही पैसे की बरसात के साथ अपना living standard सबसे पहले बदलता है।  महंगे शौक और महंगी गाड़ियां इनके life style का हिस्सा बन जाती है। ये अहसास तो आस पास भी नहीं फटकता कि हम जिन पैसों पर खुद को ऐश करवा रहें है वह जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स के रूप में चुकाए धन से हैं। वरना सही मायनों में देखें तो इनकी तनख्वाह इतनी तो नहीं होती कि ये jaguar या bmw जैसी गाड़ियां खरीद सकें। इसी लिए आज सबको राजनीती एक अच्छा व्यवसाय लगती है small investment में big returns  की policy भला किसे बुरी लगेगी। नेता बन जाओ और खुद भी मौज करो साथ ही अपनी आने वाली पुश्तों और रिश्तेदारों को भी भरा- पूरा कर दो। एक सामान्य सी नौकरी कर के अपने परिवार का पेट पालने वाला, अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के आगे हमेशा पिसता रहें फिर भी इन की जरूरतों को पूरा करने के लिए tax  रहें यही भारतीय होने की सही पहचान है ………………    

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