बजट आने से पूर्व की वेदना ……!
सरकार के नेताओं से आग्रह ………। 

हम ने सौंपा देश तुम्हे अब कुछ कर के दिखाओ तो ,
बदलो सबके जीने की वजह ,सच्ची राह बताओ तो। 
सिर्फ कमाना ही नहीं कुछ  देना भी तो सीखें  हम ,
सब से मिल कर साथ चलें ऐसा कुछ जादू जगाओ तो। 
रोज की रोटी रोज का दाना , इस चिंता से मुक्त बने , 
फक्र करें हम, सब मिल कर ऐसा बजट बनाओ तो।
अपना पेट सभी भरते हैं ,कभी तो दूजे की फ़िक्र करों ,
ख़र्चे की सीमा बंध जाए ऐसे नियम चलाओ तो। 
तुम्हे सिंहासन दे कर हमने इस काबिल बनाया है ,
अपनी इज्जत बनी रहे बस रोज यही मनाओ तो। 
कितनी पुश्तों का जोड़ोगे , सब यही रह जायेगा ,
कुछ तो बांटो जनता में, यूँ विश्वास जगाओ तो।
जितना हम देते हैं तुमको उतना तो वापस कर दो ,
ऐसी ही योजनाओं पर ,अमल कर के दिखाओ तो। 
जेब में पैसे, थैले में सामान फिर से वो मौसम आये 
सिर्फ लुभावने घोषणा पत्रों से हमको मत बहलाओ तुम।
रोज बदलती सरकारों ने जनता को बस लूटा है ,
ईमानदार मन से सरकारी कामकाज निपटाओ तो। 
हम ने सौंपा देश तुम्हें अब कुछ कर के दिखाओ तो ,
कर के कोई काम नया, छवि उज्जवल बनाओ तो। 
   
   

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