गलत विचारों को जन्म देते विद्यालय ………!
यूँ तो मैंने जब भी कभी कुछ ऐसा जाना जो उचित नहीं था उस पर अपनी प्रतिक्रिया आप तक जरूर पहुंचाई।  पर आज ये पढ़ कर जान कर फिर एक बार से दुःख हुआ की हमारे विद्यालय सब से अलग रहने की चाह में क्या क्या सीखा रहें हैं। बैंगलुरु के एक विद्यालय में बच्चों को असाइनमेंट दिया गया जिस में बुरी लड़की बनने के बेहतर तरीकों को विस्तार से समझाना था। और बच्चों ने न जाने कौन कौन से तरीके सुझाये ! जिस में प्रमुख थे  शराब और सिगरेट पीना , ज्यादा खाना खाना , रसोई के कामों में दिलचस्पी न लेना , पोर्न फ़िल्में और वीडिओज़ देखना , अकेले गोवा घूमने जाना , मोटर साईकिल चलाना ,लड़कों में रूचि पैदा करना आदि।  सबसे आश्चर्य की बात ये की ये प्रॉजेक्ट बाकायदा अध्यापकों द्वारा चेक किया गया और इस के नंबर भी दिए गए। यकीनन आप को पढ़ कर ही शर्मिंदगी का अहसास हो रहा होगा जब की उन्होंने ये विचार पैदा करने के लिए बच्चियों को मार्ग सुझाया। आखिर क्या बनाना चाहते है इस तरह के विद्यालय अपने छात्र छात्राओं को। 
                         हद है इस पर जितना भी दुःख मनाया जाए कम है। हम अपने बच्चों को उन सभी बातों और चीजों से दूर रखने का प्रयास करते हैं जो उनकी उम्र और सोच को प्रभावित कर सकते हैं। गलत राह कभी अपने आप नहीं दिखती कोई न कोई मार्गदर्शक जरूर बनता है।  जैसे कि आज कल टेलीविज़न को माना जाता हैं। सभी बच्चे जानते हैं कि उनके माता पिता आपस में प्रेम करते हैं फिर भी हम बच्चों के सामने अपने बीच दूरी रख कर उन्हें सम्बन्धों की इज्जत करना सीखाते हैं। जब कि सभी जानते हैं कि किन संबंधों का परिणाम बच्चे हैं। यही संस्कार कहलाता है। जिस की वजह से बच्चे उन बातों से दूर रह पातें हैं जो उनकी उम्र के बाहर है। फिर बच्चों के आगे इस तरह के उदाहरण प्रस्तुत करना शर्मिंदगी के अलावा और कुछ भी नहीं।  हम अपनी बच्चियों को ज्यादा संस्कारवान बनाने पर जोर देते हैं क्योंकि एक औरत  के जरिये पूरा एक परिवार संस्कार सीखता हैं। ऐसे में ये कार्य निहायत ही निंदनीय है और तो और बताये गए तरीकों का समर्थन घृणित। 

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