तीनों कालों के साथ मन का सामंजस्य ..............!
चलिए आज ऐसे विषय पर विचार विमर्श करें जिस में जीवन को बदलने की क्षमता है। वह है समय प्रबंधन…… हम सब दिन की शुरुआत अपनी तय जीवनचर्या से करते हैं। और फिर पूरे दिन इसी प्रयास में रहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा कार्य निपटा सकें जिस से अगले दिन सहूलियत रहे। ( इस कथन में सरकारी कर्मचारीयों की जमात नहीं आती )। लेकिन हम समय प्रबंधन के जरिये अपने काम की सफलता भी सुनिश्चित करते हैं। क्योंकि कई काम सही समय पर होने पर ही उचित परिणाम देते हैं। समय को तीन भागों में बांटा गया है भूत ,भविष्य और वर्तमान। भविष्य का अज्ञात होना मनुष्य के परिश्रम को सार्थक बनाता है। यदि पहले से पता रहे की क्या होने वाला है तो मनुष्य प्रयास ही नहीं करेगा। इस अज्ञानता से रोचकता और गहरी होती है तथा परिणाम और खुशनुमा। इसी तरह भूतकाल का सार अनुभव होता है जो भी आप ने पिछले समय में देखा ,सीखा है वह आप के आने वाले कार्य को कैसे बेहतर बनाये , ये निचोड़ होता है। बेहतर वर्तमान के लिए भूतकाल से जुडी एक आवश्यक बात ये भी है कि निरर्थक स्मृतियाँ का बोझ ले कर वर्तमान में प्रवेश नहीं करना चाहिए। वर्तमान जितना हल्का होगा उतना ही खुल कर उड़ने में आसानी होगी। अब इन दोनों के बीच सब से ज्यादा महत्वपूर्ण आप का वर्तमान होता है।जो की एक क्षण के अंतर से भूत या भविष्य बना रहता है। इसी में आप जीवन जीते हो।अब ये समझे कि इन तीन कालों को एक साथ ले कर समय प्रबंधन कैसे किया जाए कि सफलता का प्रतिशत ज्यादा हो जाए।
यदि आप किसी योजना पर कार्य करना चाहते हैं तो उसे दूसरों के साथ मत बाँटिये। पहले खुद की कल्पना के जरिये उस कार्य के प्रति संतुष्ट होने का प्रयास करिये और उसकी सफलता का प्रतिशत आँकिए । क्योंकि आप की कल्पनाएं जिस तेजी से दौड़ती हैं उस तेजी से यदि आप का शरीर नहीं भाग पाया तब आप की योजना और समय की बर्बादी निश्चित है। आप अपने स्वयं के सबसे अच्छे मित्र हैं। और यही मित्रता आप को भूत से वर्तमान और फिर वर्तमान से भविष्य तक निभानी है। अपने भूतकाल के अनुभवों के आधार पर कोई नयी योजना की नीवं रखे। और फिर उसे वर्तमान में मौन और शांति से दूरदर्शिता के साथ आगे बढ़ाएं। उतावलापन और सलाहबाजी से समय और सफलता दोनों बर्बाद हो सकते हैं। इस लिए सब से ज्यादा जरूरी है तीनों कालों बीच अपने मन का सामंजस्य बैठाना। यदि बीते काल में आप को अनपेक्षित असफलता ही हाथ लगी हो तो वर्तमान तो आप के हाथ में है। उसे बेहतर बनाने के प्रयास से भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकता है। जो भी खुद की क्षमताओं को हमेशा समय के अनुसार सुधारता रहता है वही अपने तीनों कालों में सामंजस्य बैठा पाता है और समय प्रबंधन को जीवन का हिस्सा बना पता है।
Yesterday is a history.. Tomorrow is a mystery ..Today is a gift, that's why its called the Present. यही सत्य है और इसको जीवन का आधार मानने वाले सदा समय को अपनी मुट्ठी में रख सकते हैं।
चलिए आज ऐसे विषय पर विचार विमर्श करें जिस में जीवन को बदलने की क्षमता है। वह है समय प्रबंधन…… हम सब दिन की शुरुआत अपनी तय जीवनचर्या से करते हैं। और फिर पूरे दिन इसी प्रयास में रहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा कार्य निपटा सकें जिस से अगले दिन सहूलियत रहे। ( इस कथन में सरकारी कर्मचारीयों की जमात नहीं आती )। लेकिन हम समय प्रबंधन के जरिये अपने काम की सफलता भी सुनिश्चित करते हैं। क्योंकि कई काम सही समय पर होने पर ही उचित परिणाम देते हैं। समय को तीन भागों में बांटा गया है भूत ,भविष्य और वर्तमान। भविष्य का अज्ञात होना मनुष्य के परिश्रम को सार्थक बनाता है। यदि पहले से पता रहे की क्या होने वाला है तो मनुष्य प्रयास ही नहीं करेगा। इस अज्ञानता से रोचकता और गहरी होती है तथा परिणाम और खुशनुमा। इसी तरह भूतकाल का सार अनुभव होता है जो भी आप ने पिछले समय में देखा ,सीखा है वह आप के आने वाले कार्य को कैसे बेहतर बनाये , ये निचोड़ होता है। बेहतर वर्तमान के लिए भूतकाल से जुडी एक आवश्यक बात ये भी है कि निरर्थक स्मृतियाँ का बोझ ले कर वर्तमान में प्रवेश नहीं करना चाहिए। वर्तमान जितना हल्का होगा उतना ही खुल कर उड़ने में आसानी होगी। अब इन दोनों के बीच सब से ज्यादा महत्वपूर्ण आप का वर्तमान होता है।जो की एक क्षण के अंतर से भूत या भविष्य बना रहता है। इसी में आप जीवन जीते हो।अब ये समझे कि इन तीन कालों को एक साथ ले कर समय प्रबंधन कैसे किया जाए कि सफलता का प्रतिशत ज्यादा हो जाए।
यदि आप किसी योजना पर कार्य करना चाहते हैं तो उसे दूसरों के साथ मत बाँटिये। पहले खुद की कल्पना के जरिये उस कार्य के प्रति संतुष्ट होने का प्रयास करिये और उसकी सफलता का प्रतिशत आँकिए । क्योंकि आप की कल्पनाएं जिस तेजी से दौड़ती हैं उस तेजी से यदि आप का शरीर नहीं भाग पाया तब आप की योजना और समय की बर्बादी निश्चित है। आप अपने स्वयं के सबसे अच्छे मित्र हैं। और यही मित्रता आप को भूत से वर्तमान और फिर वर्तमान से भविष्य तक निभानी है। अपने भूतकाल के अनुभवों के आधार पर कोई नयी योजना की नीवं रखे। और फिर उसे वर्तमान में मौन और शांति से दूरदर्शिता के साथ आगे बढ़ाएं। उतावलापन और सलाहबाजी से समय और सफलता दोनों बर्बाद हो सकते हैं। इस लिए सब से ज्यादा जरूरी है तीनों कालों बीच अपने मन का सामंजस्य बैठाना। यदि बीते काल में आप को अनपेक्षित असफलता ही हाथ लगी हो तो वर्तमान तो आप के हाथ में है। उसे बेहतर बनाने के प्रयास से भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकता है। जो भी खुद की क्षमताओं को हमेशा समय के अनुसार सुधारता रहता है वही अपने तीनों कालों में सामंजस्य बैठा पाता है और समय प्रबंधन को जीवन का हिस्सा बना पता है।
Yesterday is a history.. Tomorrow is a mystery ..Today is a gift, that's why its called the Present. यही सत्य है और इसको जीवन का आधार मानने वाले सदा समय को अपनी मुट्ठी में रख सकते हैं।
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