रुको, महसूस करो, मज़ा लो

रुको, महसूस करो, मज़ा लो : जिंदगी का  •••••••••••••••••••••••••••••••••••••

जब कहीं, किसी मोमेंट में, किसी के साथ, किसी पल, किसी क्षण में,  दिल रुकने को कहे तो रुक जाओ ......क्योंकि जिंदगी का क्या पता आज है कल नहीं.....अगर कल न रही तो महसूस होगा कि ये बेस्ट डिसीजन था क्योंकि जितना भी जिया खुश जिया .. और  कल अगर जिंदगी रही तो भी ये हमेशा बेस्ट मेमोरी की तरह साथ रहेगी.. 

एक बार पिछली जिंदगी को गौर करके देखो .. जिंदगी के ऐसे कितने मोमेंट गुजर गए हैं जिनमे हम वाकई खुश थे ...बेहद प्रसन्न .. जस्ट हैप्पी ...इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है की उस समय किसके साथ या उस वक्त आपकी जेब में कितने पैसे थे ... ख़ुशी बोले तो बस ख़ुशी थी। अंदर से कुछ अजीब सा उत्साह। सब कुछ अच्छा अच्छा हो रहा ये विश्वास ...!

बस यही मूल मंत्र है जीवन का। क्योंकि आसपास कुछ भी अगर अच्छा है तो हम उसे भरपूर जी ले यही असली खुशी है। प्रकृति भी पतझड़ में पत्तों के सूख जर गिर जाने का दर्द सहती है। पेड़ नंगे से हो जाते हैं। लेकिन फ़िर भी उनमें जीवंतता रहती है क्योंकि उसके बाद बसंत बहार की उम्मीद कायम होती है। जीवन भी बिल्कुल ओस ही है। रास्ते हमेशा समतल नहीं होते। धरा के अनुसार ऊंच नीच रहती है। पर लोगों को चलायमान रखना उनकी प्रकृति है। 

ये बात जिसके पल्ले पड़ गई वो जीवन का सार समझ गया। बड़े बड़े मौकों की प्रतीक्षा में ज़िन्दगी के बहुत से छोटे लेकिन बेहतरीन मोमेंट्स में बसी खुशियां ही जीवन को सुखमय बनाती है। 

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