रिश्ते की पहचान- तीन C से
रिश्ते की पहचान : तीन C से
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अमूमन हम रिश्तों को अच्छी तरह समझ नहीं पाते और कोई भी समस्या या टकराव होने पर उसका ठीकरा दूसरे के सर फोड़ कर अलग होने लगते हैं । जबकि रिश्ते की शुरुआत से ही हमें कुछ पॉइंट्स पर ध्यान देकर अपने रिश्ते की गहराई माप लेनी चाहिए। जिससे रिश्ता कितना लंबा चल सकेगा ये समझ आ सकता है। विवाह चाहे परिवार की तरफ से हो या प्रेम होने पर। पर साथ तो दो लोगों को ही रहना होता है। जिसमें निभाने के साथ लगाव भी ज़रूरी है। ये तीन C सिर्फ वैवाहिक रिश्तों पर ही नहीं लागू होते। दोस्ती - यारी ,सहकर्मियों के साथ, अड़ोसी पड़ोसी के साथ आदि आदि के जगह इन तीनों C से सम्बंद्धों की गहराई मापी जा सकती है। इन तीनों C को विस्तार से समझते हैं........
1- Chemistry = ये एक तरह का spark है जो किसी को भी देख कर हो सकता है। मतलब कोई एकदम से अच्छा लग गया। ये हमें सौकड़ों लोगों के साथ हो सकता है। उनकी खास आदत, खास लहज़ा, कोई खास ड्रेसिंग वग़ैरह वग़ैरह। लेकिन इस केमिस्ट्री को प्यार नहीं कह सकते। क्योंकि इसमें भावना नहीं बस एक आकर्षक भर होता है। जो क्षणिक भी हो सकता है। ये long lasting कत्तई नहीं होता।
2 - Compatibility - Arrange शादियों में यही प्रमुखता से देखा जाता है।दो परिवारों के बीच compatibility, दो लोगों के बीच compatibity . Compatibility अर्थात सामंजस्य। इसे परखने के लिए पारिवारिक स्तर, आर्थिक स्तर , शिक्षा स्तर और संस्कारों का स्तर बहुत कुछ देख परख कर ये तय किया जाता है कि अमुक रिश्ता compatible हो सकता है। सामने वाला हमारे लिए किस हद तक बदलाव स्वीकार कर सकता है।
3 - Connection - अब मुख्यतः ये ही imp है। क्योंकि लाख chemistry check कर लो लाख compatibilty check कर लो। पर proper connection ना बैठे तो सब बेकार। ये connection जो है वो soul की भाषा है जो ये कहती है हाँ मैं तुम्हें पहचानता हूँ या पहचानती हूँ। क्योंकि जब connection built up होता है तब अपने आप compatiblity भी develop होने लगती है। connection develop होना ही सही मायनों में प्यार होता है। क्योंकि जब दो soul एक दूसरे को समझ के साथ स्वीकारती है। तब वो अलग होने का नहीं सोचती। उन्हें प्यार एक करके रखता है।
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