एंजाइटी और पैनिक अटैक

 एंजाइटी और पैनिक अटैक

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एंजाइटी क्या होती है  ? ? जिसे सीधे सामान्य शब्दों में अंतर्मन की बेचैनी कह सकते हैं। जब मन घबराहट की चरम सीमा पर पहुंच जाता है। आसपास सब कुछ अजीब सा लगने लगता है। जो कुछ भी करने से नहीं खत्म होती। इस एंजाइटी का सबसे बिगड़ैल और गंदा स्वरुप होता है "पैनिक-अटैक"। जिसमें हॉस्पिटल में भर्ती होने की स्थिति आ जाती है।  ये पैनिक अटैक आने का अर्थ होता है कि बेचैनी इस लेवल तक बढ़ चुकी है कि इंसान उलजुलूल हरकतें करने लगता है। और सबसे मजेदार बात ये की उसे खुद नहीं समझ आता कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। कभी कभार ये हरकतें जानलेवा भी हो जाती है। पैनिक अटैक में कोई मरता नहीं , लेकिन मौत का ट्रेलर जरूर दिख जाता है । पैनिक अटैक आने का मतलब है की मौत साक्षात् आपके सामने खड़ी नाच रही है। 

पैनिक अटैक किस हद तक गंभीर हो सकता है । कि उसमें आठ दस या पंद्रह मिनट के पैनिक अटैक को झेलने के लिए शरीर और दिमाग की पूरी ताकत झोंकनी पड़ती है ताकि उसे हैंडल किया जा सके।  इस तरह के अटैक के दौरान जो कुछ महसूस किया जाता है वो कुछ ऐसे होता है कि शरीर और दिमाग का पूरा कनेक्शन टूट जाता है। यहां तक कि अपनी स्वयं के शरीर को हार्म करने में भी कोई डर या हिचक नहीं होती। 

 इसमें अमूमन कुछ अप्रत्याशित करने की तीव्र इच्छा होने लगती है जैसे पूरी ताकत से सड़क पर दौड़ना शुरू  कर देते है। या कुछ भी ऐसा काम की शरीर में कुछ चोटें लग जाए या इतना दर्द उभर आये जिससे ध्यान इस एंजाइटी वाली घबराहट से हट जाए । वैसे तो ये एंजाइटी कभी कभार ही उभरती है। लेकिन जब ये वापिस आती है तब अपने को सम्हालने के लिए मानसिक रूप से स्ट्रांग होना बहुत जरुरी है। सबसे पहले ये समझना चाहिए की ये एक टेम्परेरी अवस्था है जो आई है तो चली भी जाएगी।  

हालाँकि इसमें अपना मनपसंद खाना , फेवरिट फिल्मे और संगीत सुनना जैसी तरकीबें भी फेल हो जाती हैं , लेकिन फिर भी और कोई विकल्प ना होने के बावजूद  इन चीजों को करते रहना चाहिए। ठंडे शावर के नीचे खड़े हो जाना चाहिए। दिमाग को कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए। अपने मन से ये निरंतर बोलते रहना चाहिए कि,  डोंट वरी, ये बेचैनी है जो दो चार मिनट में शांत हो जायेगी । 

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