नौतपा : गर्मी रे हाय हाय

 नौतपा : गर्मी रे हाय हाय                  ••••••••••••••••••••••••




ए नौतपा.....
कितना तपोगे और तुम
थोड़ा तो रहम बरसाओ
ज़मीं के धैर्य को चुनौती
देकर उसे मत जलाओ
उसने पनाह दी है जिंदगियों
को,अपनी शीतलता तले
थोड़ा तो झुलसती हुई
प्रकृति पर तरस खाओ..!

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