रोटी की जंग और अक़्ल का अकाल

 "रोटी की जंग और अक़्ल का अकाल"

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 एक कड़वा सच, व्यंग्य में लपेटा हुआ

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एक शादी की दावत थी, माहौल जश्न का था। सभी मेहमान खाने पीने में लगे हुए थे। हर काउंटर पर लोगों की पहले पा लेने की भीड़ खाने की बेसब्री दिखा रही थी। कुछ तंदूरी रोटियों के इंतेज़ार में भी खड़े थे। पर जैसे ही तंदूरी रोटियां तंदूर से निकलीं, दो पढ़े-लिखे युवक इतने "इंटेलेक्चुअल" निकले कि रोटी के लिए आपस में भिड़ गए — और लड़ते-लड़ते दुनिया ही छोड़ दी।

उत्तर प्रदेश के अमेठी में शादी की दावत के दौरान तंदूर से पहले गर्म रोटी लेने को लेकर दो युवकों के बीच ऐसी जंग हुई की दोनों की सांसे ही टूट गई।

रवि कुमार उर्फ कल्लू और आशीष कुमार की मौत के बाद वहाँ मातम छा गया।

दरअसल दोनों तंदूरी रोटी के काउंटर पर रोटी निकलने का इंतेज़ार कर रहे थे। जैसे ही शादी में हलवाई ने तंदूरी रोटी सामने रखी, रवि और आशीष रोटी लेने के लिए आगे आ गए। मगर पहले रोटी लेने के चक्कर में दोनों आपस में टकरा गए और दोनों के बीच विवाद हो गया

 तंदूरी रोटी को लेकर दोनों के बीच हुआ विवाद मारपीट तक पहुंच गया और दोनों ने एक-दूसरे को खूब पीटा, जिससे दोनों की मौत हो गई।

अब बताइए.....ये सिर्फ़ एक रोटी थी या रियासत ? ?

दुनिया चांद पर जा रही है, और हम अभी भी रोटी पर फंसे हैं !!

IQ बढ़ाने की जगह Ego बढ़ाया जा चुका है।

तर्क की जगह अब ताव आ चुका है।

और धैर्य तो जैसे थाली में परोसा ही नहीं जाता इसीलिए अब लोग उसका स्वाद भी भूल चुके।

शादी में मेहमान रोटी खाने नहीं, ईगो का पचड़ा पकाने गए थे...!

कभी लोग देश के लिए मरते थे, अब दावत की दाल-रोटी के लिए....

कभी लोग किताबों को आधार बनाकर लड़ते थे और अब तश्तरियों से।

बुद्धि तो शायद अब बुफे में नहीं परोसी जाती.....!!


इसलिए दोस्तों, अगली बार किसी भी समारोह में जाएं तो मटर पनीर से पहले थोड़ी सहनशीलता, तंदूरी रोटी से पहले मानसिक ठंडक, दही-भले से पहले थोड़ा विवेक और गुलाब जामुन से पहले थोड़ा धैर्य भी साथ ले जाएं। जिसको साथ ले लेने से खुद के लिए लगाई थाली का स्वाद और ज्यादा अच्छा हो जाएगा। 

क्योंकि आजकल रोटी की नहीं बल्कि अक़्ल की किल्लत सबसे ज़्यादा है..........!

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