हम ही फूल, हम ही माली
हम ही फूल, हम ही माली
~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~
कभी जब लगने लगे सब कुछ खाली ख़ाली
मन अंधेरों में भटकते हुए...हो जाये सवाली
कोई आसरा दूर दूर तक नज़र नहीं आता है
अब परछाई भी नहीं लग रही हो अपनी वाली
तब ये सोच खुद में हिम्मत जगाना कि अपनी
बगिया के हम ही फूल है और और हम ही माली
कभी बहार तो कभी पतझड़ मिलेगा जीवन में
हमें खुद करनी है अपनी फुलवारी की रखवाली
ना डरना है ना घबराना है हिम्मत बांधे रखना है
तभी ला पाएंगे जिंदगी के हर क्षण में हरियाली
जब खालीपन होयेगा तभी नया सृजन भी होगा
और होएगी नई आशाओं व उम्मीदों की बहाली
ज़िन्दगी है कोमल कोंपलों सरीखी फिर से उगेगी
जिसकी रंगत से बिखरेगी हमारे मुख पर लाली
~ जया सिंह ~
★◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★
Comments
Post a Comment