नवरात्रि और देवी मां

नवरात्रि और देवी मां :
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चैत्र माह की नवरात्रि चल रही है। हम सभी देवी दुर्गा की उपासना करते हैं। देवी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए प्रत्येक स्त्री को भी शक्तिस्वरूपा समझते हैं। क्योंकि वह एक जननी है जिसका सृष्टि को चलने में सहयोग है।
देवी दुर्गा का चित्र हाथ में त्रिशूल लिए शेर पर विराजमान और पांव के नीचे एक असुर के रूप में चित्रित होता है। इसका ये अर्थ कत्तई नहीं मान सकते कि देवियाँ क्रोध से भरी होती है और हत्या जैसे काम करती हैं।
उदाहरण के तौर पर देखें कि जब हमें प्रतिकात्मक रूप से किसी बात को कहना होता है तो हम उसके लिए चित्रों का प्रयोग करते हैं।जैसे तंबाखू हानिकारक है इसे दर्शाने के लिए खोपड़ी पर गलत या क्रॉस का निशान दिखा कर उसे नुकसानदेह बताया जाता है। घरों पर बुरी नज़र हटाने के लिए असुर के मुख का नजरबट्टू लगाया जाता है। लोग काला धागा पहनते है। ये सभी प्रतीकात्मक संदेश है। जिसमें कहे बिना ये समझाया जा रहा कि इसका अर्थ उपयुक्त है.....
देवी मां को purity का प्रतीक माना जाता है। जबकि असुर को काम क्रोध लोभ मोह का प्रतीक। दैवत्व और पवित्रता ये किसी भी मनुष्य का नैसर्गिक गुण है। पर सामाजिक जीवन में जीते हुए हमारे अंदर बहुत से व्यसन, खोट या पापाचरण पनपने लगते हैं। जिससे शुद्धता का विलय होने लगता है और व्यसन बढ़ने लगते हैं। उसी भाव को चित्र के जरिये नवरात्रि में देवी दुर्गा के रूप में दिखाते है।
देवी मां अष्टभुजाओं वाली होती है। जो कि कार्य किये जाने का प्रतीक है। हम अपने सर्व दैनिक कार्य हाथ से करते हैं ।  अष्टभुजा वाली देवी जिसका हर हाथ एक शक्ति का प्रतीक है। हर हाथ में एक शस्त्र बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और साथ ही ये भी की एक सामान्य स्त्री भी अष्टभुजा वाली ही होती है अर्थात multitasking जो किसी भी परिस्थिति में एक साथ कई काम सम्भाल सकती है। 
अष्टभुजाएं अर्थात आठ शक्तियां जो हम सभी के अंदर पहले से हैं। और हम कुछ आसुरी प्रवृत्ति के कारण उन्हें आने अंदर दबा चुके हैं। वह आठ शक्तियां है
1.धैर्यपूर्ण होने की शक्ति
2.सत्यवादी होने की शक्ति
3.सहन करने की शक्ति
4.निर्णय लेने की शक्ति
5.सामना करने की शक्ति
6.दृढ़ रहने की शक्ति
7. परखने की शक्ति
8.सहयोग देने की शक्ति
ये सारी शक्तियां हम सभी के अंदर है जिसे हमें खुद ही जागृत करना होगा। क्योंकि हम देवी दुर्गा मां के चित्र को प्रतीकात्मक देखते हुए ये महसूस करना होगा कि वह शक्तिस्वरूपा दुर्गा हम सब के अंदर निहित है। जो बुराइयों को खत्म करके गुणों को बढ़ाने की शक्ति रखती है। नवरात्रि इसी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है जिसमें व्रत, उपासना और नियम से हम खुद को निर्मल और विकारमुक्त करने की कोशिश करते हैं।

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