मां को सब पता है

मां को सब पता है : 

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मां को सब पता होता है, कौन सी चीज कहाँ रहती है 

घर में व्यवस्थाएं बना देने से सुविधायें कैसे सजती हैं

बिन कुछ कहे ही मां हर शख्स की जरूरतें समझती है

कोई कुछ कहे या ना कहे पर मां सभी के मन पढ़ती है

उसको पता है शक्कर नमक मसाले का सही अनुपात

कैसे रसोई की खुशबू से ही हर उदर की भूख जगती है

घर में क्या कहाँ रखा हुआ है, ये वह बख़ूबी जानती है

ज़रूरत पड़ने पर बस वहीं हाथ डाल ढूंढ निकालती है

कोने कोने को व्यवस्थित रखने का शऊर उसका गर्व है

सिर्फ़ अव्यवस्थाओं और बिखराव से ही वो घबराती है

मां, घर की जमीं को भी सोना बनाने का हुनर रखती है

चार दीवारों से घिरे इक मकान को रिश्तों से संजोती है

वो है तो सभी सुकूँ से अपनी अपनी ज़िन्दगी जी रहे है

वो घर के रस्ते आने वाली हर मुश्किल खुद पर लेती है

वो ढाल है घर की, वो ही कवच है उसका होना सुरक्षा है

उसके बिना घर की कल्पना घर को घर नहीं होने देती है।

                         ~ जया सिंह ~                           

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