किस पर और कितना विश्वास
किस पर विश्वास और कितना कितना :
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जब भी कभी छोटी बच्चियों के साथ यौन दुराचरण की खबर पढ़ती हूँ । आत्मा छलनी हो जाती है। पुरुष के पुरुषत्व पर अफसोस होने लगता है। और समझने की कोशिश करती हूं कि आख़िर इच्छाओं के वशीभूत होकर कोई छोटी बच्ची में एक वयस्क औरत का सुख कैसे ढूंढने लगता है .....??
एक साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म... सोचिए और महसूस करिए। आखिर ये क्यों हो रहा ? ? इस तफह कि घटनाएं तोड़ कर रख देती हैं। उदाहरण और भी हैं। हमारे ही शहर में हाल ही में दो घटनाएं एक साथ हुईं। जिसका शिकार छोटी बच्चियाँ ही हुई हैं। बेबस, अज्ञानी और मासूम। पिता का एक दोस्त जो अक्सर घर आया करता था। परिवार और वो बच्ची जिसकी उम्र महज 9 वर्ष की है उससे परिचित थे। एक दिन माँ बाप दोनों काम पर गए थे। वही दोस्त घर आया। बच्ची से पिता के बारे में पूछा तो उसने बताया कि दोनों काम पर गए हैं। पानी पिलाने का कह कर वह घर के अंदर आ गया। और फ़िर घर बन्द करके उस मासूम के साथ विभत्स तरीके से बलात्कार किया। बच्ची के मुहं पर रुमाल बांध दिया ताकि उसकी आवाज़ बाहर ना जाये। बच्ची बेहाल बदहाल सब झेलती रही। अबोध थी ना अपने बचाव में कुछ ना कर सकी। अपने शरीर के चिथड़े उधड़वाने के बाद जब उस दोस्त को संतुष्टि हुई तब उसे छोड़ा। अंदरूनी तौर पर वह पूरी तरह घायल हो चुकी थी।
दूसरी घटना में एक 10 वर्षीय बच्ची स्कूल जा रही थी। उसी मोहल्ले के रहने वाला एक युवक उसे अपनी मोटरसाइकिल पर स्कूल छोड़ने की पेशकश करता है। वह अनजाने और जल्दी स्कूल पहुंचने के लालच में साथ चल देती है । वो उसे स्कूल के बजाए किसी होटल में ले जाता है और वहां उसके साथ दुष्कर्म करता है फिर वही उसे होटल के बाहर ही छोड़ कर भाग जाता है। बच्ची जब स्कूल से समय पर नहीं लौटती तब माँ बाप को चिंता होती है वह उसे ढूंढने के प्रयास करते हैं। तब कोई परिचित बताता है कि वह बच्ची किसी होटल के पास है। उसे भी भयानक शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा।
आख़िर दोष क्या है इन मासूमों का....यही की वह एक औरत के रूप में जन्मी हैं।क्या एक यही दोष उनकी जिंदगी को लीलने के लिए काफी है।हर बार ये सोचती हूँ कि अगर पुरुष पर हवस इतनी ही हावी हो जाती है तो वेश्यालय चला जाये ना। वहां भी तो औरतें जिस्म बेचने का धंधा करती हैं। बराबर उम्र की कोई मिल जाये। अपनी हवस शांत कर लो। पर क्यों उन मासूमों को शिकार बनाया जाता है जो दूसरे के सुख के लिए अपने जीवन की बलि चढ़ा देती है।जिसे ये पता ही नहीं कि उसके साथ ये क्या हो रहा है बस पीड़ा की जलन से झुलस रही। वो अपनी पूरी ज़िंदगी इस हादसे को याद करके सिहरेगी।
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