
एक साहसी कदम ,कि हम कभी भी डरेंगे नहीं और तुम्हारे आतंक का मुहतोड़ जवाब देंगे पर तुम्हारी तरह नहीं। फ्रांस की व्यंग पत्रिका चार्ली एब्दों ने वाकई कबीले तारीफ कदम के साथ विगत 7 जनवरी के हमले के प्रति जवाबदेह लोगों के मुहं पर तमाचा जड़ा है। उसने 30 लाख प्रतियों के साथ अपने विशेष अंक survivors issue का प्रकाशन तय किया। यह अंक 16 भाषाओँ में प्रकाशित होगा और नियमित 60 हजार प्रतियों के आगे बढ़ कर इसकी संख्या 30 लाख कर दी गयी। इस अंक की जो सबसे बड़ी विशेषता होगी वह ये की एक बार फिर वही पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून कवर पेज पर इस जवाब के साथ प्रकाशित होगा कि "मै भी चार्ली ,चलो सबको माफ़ किया " . एक अन्य विशेष बात की इस पत्रिका का पूरा आवरण लुज नामक पत्रकार ने बनाया है जो कि हमले वाले दिन अपने जन्मदिन के आयोजन की वजह से दफ्तर न आ पाने के कारण जीवित बच गए। ये वाकई एक निर्भीकता भरा कार्य है जिस के लिए लुज और पत्रिका दोनों शाबासी के हक़दार हैं।
जो लोग ऐसा समझते हैं कि उनके डर और दहशत के कारण जीने के तरीके बदल सकते है वह गलत हैं। ये अंक उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि भी है जिन्होंने उस हमले में अपनी जान गवां दी। स्वन्त्रता का ये अर्थ कदापि नहीं है कि आप उन मुद्दों को बेवजह मुद्दा बना दे जिन्हे व्यक्त करने या अपनी तरह से प्रस्तुत करने के लिए हर आम आदमी स्वतंत्र है। पर इन आतंक के ठेकेदारों को ये बात कहाँ समझ आएगी इस लिए हमें ही ये समझना चाहिए कि इन के खिलाफ खड़े होने का एक बेहतर तरीका ये है कि ये जिस भी कार्य के प्रति आपत्ति जताएं उसे जरूर करें ताकि उनके डर को अनदेखा किया जा सके और उन्हें साबित किया जा सके कि इस तरह की घटनाओं से जीने का तरीका नहीं बदलता। यही कुछ मलाला ने भी किया आज उसको प्रेरणा बना कर हजारों लड़कियां ऐसा कर रही हैं। यही कुछ चार्ली एब्दों भी कर रहा है जो कि एक सराहनीय कदम हैं। आतंक उस जीवन से कत्तई बड़ा नहीं है जो ईश्वर ने हमे दिया है और इस जीवन की सही कीमत तभी वसूल हो सकती है जब इसे खुल कर बिना डर के जिया जाए।
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