इष्ट की छवि की कल्पना
धर्मों में इष्ट की छवि को ले कर बिना वजह मचाये जा रहें विवादों के प्रति समर्पित कुछ पक्तियां …
क्यों कर इतना डरते हो
जब तुम अपने इष्ट से प्रेम
अमूर्त रूप में करते हो
तब ,क्यों कर इतना डरते हो।
जैसा तुम सोचोगे उसको
वैसा ही हरदम पाओगे,
फिर क्यों मन में छवि
बिगड़ जाने के डर से डरते हो,
क्यों कर इतना डरते हो।
उसकी शक्ति ,उसकी ताकत
से तुम अनजान नहीं ,
फिर क्यों उसकी कुदृष्टि का
इन्तजार तुम करते हो ,
क्यों कर इतना डरते हो।
वह सबसे ऊपर है, सत्य है
इस से तुम अनजान नहीं,
फिर क्यों उससे आगे जा कर
जीवन का सौदा करते हो,
क्यों कर इतना डरते हो।
उसकी दया दृष्टि की खातिर
जीवन से तुम प्यार करों ,
वैर द्वेष रख कर आपस में
सदा ही क्यों लड़ मरते हो ,
क्यों कर इतना डरते हो।
उसकी रहमत उसका सदका
जीवन का है सार यही
खुशियों और उन्नति की धारा
बन कर क्यों नहीं बहते हो,
क्यों कर इतना डरते हो। .............
धर्मों में इष्ट की छवि को ले कर बिना वजह मचाये जा रहें विवादों के प्रति समर्पित कुछ पक्तियां …
क्यों कर इतना डरते हो
जब तुम अपने इष्ट से प्रेम
अमूर्त रूप में करते हो
तब ,क्यों कर इतना डरते हो।
जैसा तुम सोचोगे उसको
वैसा ही हरदम पाओगे,
फिर क्यों मन में छवि
बिगड़ जाने के डर से डरते हो,
क्यों कर इतना डरते हो।
उसकी शक्ति ,उसकी ताकत
से तुम अनजान नहीं ,
फिर क्यों उसकी कुदृष्टि का
इन्तजार तुम करते हो ,
क्यों कर इतना डरते हो।
वह सबसे ऊपर है, सत्य है
इस से तुम अनजान नहीं,
फिर क्यों उससे आगे जा कर
जीवन का सौदा करते हो,
क्यों कर इतना डरते हो।
उसकी दया दृष्टि की खातिर
जीवन से तुम प्यार करों ,
वैर द्वेष रख कर आपस में
सदा ही क्यों लड़ मरते हो ,
क्यों कर इतना डरते हो।
उसकी रहमत उसका सदका
जीवन का है सार यही
खुशियों और उन्नति की धारा
बन कर क्यों नहीं बहते हो,
क्यों कर इतना डरते हो। .............
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