कभी तो बादल बन के : ⛈️
कभी तो ………!
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कभी तो बन कर काले बादल से
कभी तो बन कर काले बादल से
बेहिसाब बरसें हम,
भीगे ये सारा जहान और तन मन
भर हर्षें हम।
कभी तो जीवन सादा सच्चा
कभी तो जीवन सादा सच्चा
जी भर के जी ले हम ,
गम व खुशियां सहज सहेज के
गम व खुशियां सहज सहेज के
मन के अंदर सी लें हम।
कभी तो प्यार लुटाते रहने का
कभी तो प्यार लुटाते रहने का
सिलसिला न रोकें हम ,
लेन देन की इस बयार में बन जाएँ
लेन देन की इस बयार में बन जाएँ
हवा के झोंके हम।
कभी तो जाने दुःख दूजे का,
कभी तो जाने दुःख दूजे का,
समझे उनके भी मन की,
साझी पीड़ा, साझा दर्द साझी हो
साझी पीड़ा, साझा दर्द साझी हो
भाषा जीवन की।
कभी तो बन के ईमानदार दिल को
कभी तो बन के ईमानदार दिल को
सही राह दिखा दें ,
अच्छाई की प्रेरणा बन जाए ऐसी
अच्छाई की प्रेरणा बन जाए ऐसी
सच्ची चाह दे दें।
कभी तो झूठी ही सहानुभूति से
कभी तो झूठी ही सहानुभूति से
दूजे का दुःख हर ले हम ,
बढ़ा सके जो अपनापन आपस में,
बढ़ा सके जो अपनापन आपस में,
ऐसी राहें वर लें हम।
कभी तो सच का दामन पकड़े
कभी तो सच का दामन पकड़े
झूठ को चाकनाचूर करें ,
मन की ग्लानि और द्वेष को
मन की ग्लानि और द्वेष को
व्यक्तित्व से दूर करें।
कभी तो खुद से ऊपर उठ कर सोचें
कभी तो खुद से ऊपर उठ कर सोचें
कुछ अपने अपनों की ,
जी ले थोड़ा उनके लिए भी ,
जी ले थोड़ा उनके लिए भी ,
परवाह हो उनके सपनों की।
कभी तो थोड़ा अच्छे बन कर
जीने का प्रयास करें ,
जिस क्षण जैसी भी स्थिति हो,
जिस क्षण जैसी भी स्थिति हो,
भलाई अनायास करें।
कभी तो खोल के मन के बंधन
कभी तो खोल के मन के बंधन
सब को साथ में ले ले हम,
जीवन का खेल अकेले क्या है ?
सब मिल के खेलें हम।
जया सिंह
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