नव वर्ष विशेष
एक सार्थक कोशिश……!
एक बहुत ही जरूरी प्रण आप से इस वर्ष कही miss न हो जाए , जो की आप का पूरा जीवन बदलने की क्षमता रखता है। जिस एक के अपनाने से आप का पूरा व्यक्तित्व बदल सकता है। वह है क्रोध का त्याग ....... मैं ये नहीं कहती की आप बिलकुल ही शांत हो जाएँ पर जब कभी आप को क्रोध आये तब उसके औचित्य को जरूर समझने का प्रयास करें। जिस से क्रोध वाकई करना चाहिए या नहीं, ये clear हो जायेगा। कभी कभी हम अनावश्यक ही उन बातों पर क्रोध कर बैठते हैं जो हलके में लेकर ignore कर देने वाली होती हैं। लेकिन हमारा मस्तिष्क बार बार उनको सोच कर इतना तूल दे देता है कि वह हमारे लिए अति आवश्यक बन जाती हैं और फिर जब वह हमारे पक्ष में न हो तो क्रोध आना लाज़मी हो जाता है। इस लिए सब से पहले परिस्थिति को भांप कर उस क्रिया की महत्ता का आंकलन करें। यदि वह कोई खास मायने नहीं रखती तो उसे आया गया समझ कर बिना प्रतिक्रिया के जाने दे। ये क्रोध को अपने रास्ते से हटाने का एक सहज उपाए हैं।
मेरी नानी एक सरल सा नुस्खा बताया करती थी कि जब बहुत ज्यादा क्रोध आये और मन तमाम बातों पर जिरह करने को आमादा हो जाए तब मुहं में पानी भर के बैठ जाओ। सामने वाला कितनी देर तक बोलेगा। अंततः थक कर या तो चुप हो जायेगा या चला जायेगा। हाँ , अपने मन की भड़ास बाद में निकाली जा सकती है जब वह शांत हो ,तब आप वह सारी बातें कह दे जो उस समय मन में थी। जब सामने वाला शांत और सहज हो तब वह लड़ाई के mood में बिलकुल नहीं होगा। उस वक्त वह आप की बात सुन सकता है। एक और कारगर नुस्खा है कि जैसे ही क्रोध सर चढ़ने लगे , तुरंत अपनी पुरानी फोटी एलबम्स निकाल कर देखें या कोई मनपसंद वीडियो चला लें, देखेंगे कि थोड़ी ही देर में मन शांत हो जायेगा। ये सब बहुत ही मामूली तरीके है पर इनका असर आप के पूरे व्यक्तित्व पर होगा। अपनाये और जिंदगी को भरपूर जीने का लाभ उठायें…………।
एक सार्थक कोशिश……!
एक बहुत ही जरूरी प्रण आप से इस वर्ष कही miss न हो जाए , जो की आप का पूरा जीवन बदलने की क्षमता रखता है। जिस एक के अपनाने से आप का पूरा व्यक्तित्व बदल सकता है। वह है क्रोध का त्याग ....... मैं ये नहीं कहती की आप बिलकुल ही शांत हो जाएँ पर जब कभी आप को क्रोध आये तब उसके औचित्य को जरूर समझने का प्रयास करें। जिस से क्रोध वाकई करना चाहिए या नहीं, ये clear हो जायेगा। कभी कभी हम अनावश्यक ही उन बातों पर क्रोध कर बैठते हैं जो हलके में लेकर ignore कर देने वाली होती हैं। लेकिन हमारा मस्तिष्क बार बार उनको सोच कर इतना तूल दे देता है कि वह हमारे लिए अति आवश्यक बन जाती हैं और फिर जब वह हमारे पक्ष में न हो तो क्रोध आना लाज़मी हो जाता है। इस लिए सब से पहले परिस्थिति को भांप कर उस क्रिया की महत्ता का आंकलन करें। यदि वह कोई खास मायने नहीं रखती तो उसे आया गया समझ कर बिना प्रतिक्रिया के जाने दे। ये क्रोध को अपने रास्ते से हटाने का एक सहज उपाए हैं।
मेरी नानी एक सरल सा नुस्खा बताया करती थी कि जब बहुत ज्यादा क्रोध आये और मन तमाम बातों पर जिरह करने को आमादा हो जाए तब मुहं में पानी भर के बैठ जाओ। सामने वाला कितनी देर तक बोलेगा। अंततः थक कर या तो चुप हो जायेगा या चला जायेगा। हाँ , अपने मन की भड़ास बाद में निकाली जा सकती है जब वह शांत हो ,तब आप वह सारी बातें कह दे जो उस समय मन में थी। जब सामने वाला शांत और सहज हो तब वह लड़ाई के mood में बिलकुल नहीं होगा। उस वक्त वह आप की बात सुन सकता है। एक और कारगर नुस्खा है कि जैसे ही क्रोध सर चढ़ने लगे , तुरंत अपनी पुरानी फोटी एलबम्स निकाल कर देखें या कोई मनपसंद वीडियो चला लें, देखेंगे कि थोड़ी ही देर में मन शांत हो जायेगा। ये सब बहुत ही मामूली तरीके है पर इनका असर आप के पूरे व्यक्तित्व पर होगा। अपनाये और जिंदगी को भरपूर जीने का लाभ उठायें…………।
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