कुछ तो सीख लें हम………… !
अभी कल ही मैंने कुछ ऐसा पढ़ा और लिखा जिस पर खुद ही शर्मिंदगी महसूस हो रही थी पर आज कुछ बदला बदला सा लगा रहा है क्योंकि जो देखा और महसूस किया वह वाकई कबीले तारीफ है।वह है इन छोटे बच्चों का जज्बा और एक पुरुष होने का सार्थक गर्व …….…। अचानक ही इस वीडियो को देखने के बाद ये अहसास हुआ कि ऐसा सब क्यों नहीं सोच सकते ? क्यों कहा जाता है कि बच्चों का मन निश्छल होता है और क्यों इसे देख कर ये अहसास हुआ की आज भी अच्छी सोच जिन्दा है। जरूरत है उसे खुद में जिन्दा रखने की। जब वह बचपन में हमारे साथ रहती है तो उसे बड़े होकर हम उसे कहाँ खो देते है।  क्यों बड़े हो कर हम हैवानियत से भरा व्यव्हार करने लगते हैं। एक असीम ख़ुशी का अहसास हुआ ये वीडियो देख कर ,और जो भी बच्चे इस में हो उन्हें लाखों शुभाशीष देने  का मन किया। जिन्हे domestic violence और एक पुरुष होने के नतीजों का भान हैं। उन्हें अपनी सीमाएं ज्ञात हैं और एक स्त्री के प्रति अपने व्यव्हार की कीमत भी। न जाने क्यों इस तरह के positive  वीडियो देख कर भी हम अपनी सोच नहीं बदल पा रहे। आखिर कब हमें ये अहसास होगा कि अब अति हो चुकी है और अब हमें ही बदलना होगा। अपने इन बच्चो के लिए जो ऐसी अच्छी सोच के साथ बड़े होना चाहते हैं। ………     

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