जिंदगी का सफ़र
जिंदगी का सफ़र :
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जिंदगी के सफ़र में ख़ामोशी को चुना है हमने
अक्सर बिना गलती के बहुत कुछ सुना है हमने
जब दिल दुखता है तो जुबां बन्द हो ही जाती है
तभी इर्द गिर्द अकेलेपन का जाल बुना है हमने
बहुत कुछ बदल जाता है उम्र बढ़ने के साथ साथ
पहले जो ज़िद हुआ करती थी,वो अब सब्र बन गई
इसलिए मुड़कर नहीं देखा जो पीछे छूट गया है
जिन आवाज़ों ने रोका उसे किया अनसुना है हमने
हम आसानी से उपलब्ध थे तो लोग संजो नहीं पाए
तभी टुकड़ों में टूटकर सबको अक्सर चुभने लगे हैं
मन का दुःख शरीर के दुःख से ज्यादा भारी होता है
फ़िर भी उसे सहा क्षमता से अधिक चौगुना है हमने
ये सच है हमारे बिना कुछ भी रुकने वाला नहीं है
जो है जैसा है सब वैसे ही निरन्तर चलता रहेगा
मजबूत होने को और मन को पक्का करने को
उसे निराशा की भट्टी में कई बार भुना है हमने
ज़िन्दगी के सफ़र में ख़ामोशी को चुना है हमने
अक्सर बिना गलती के बहुत कुछ सुना है हमने
~ जया सिंह ~
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