बर्ताव याद है हमें
बर्ताव याद हैं हमें :
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बर्ताव सबके याद रहते हैं हमें
मुस्कुरा कर मिल लो तो लोग इसे माफ़ी मानते हैं
हम विकल्प नहीं, प्राथमिकता हैं
हम भी अपने स्वाभिमान की क़ीमत जानते है
बोलने का हुनर दर्द ने छीन लिया
वर्ना खामोशी में घुट कर जीना हम भी पहचानते हैं
बहुत कुछ सहेजना चाहते थे जिंदगी से
तभी तो पलों में से खुशियां ढूंढ ढूंढकर छानते है
लेकिन जो खोया अब वो नहीं मिलेगा
उसके बिना ही जीना है ये कड़वा सच स्वीकारते हैं
बहुत खेल लिया जमाना हमसे अब नहीं
जो लोग हमारे लिए नहीं बने उन्हें छोड़ना ठानते हैं
परत दर परत खुलने वाले इंसानों को
अपना समझने की भूल गलती थी ये मानते हैं
अपनी अहमियत को झुकने नहीं देना है
इस वास्ते परचम की कमान हम स्वयं ही तानते हैं
जया सिंह
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