आहार सम्बंद्धि नियमों में सतर्कता

आहार सम्बंद्धि नियमों में सतर्कता :    •••••••••••••••••••••••••••••••••

आजकल भोजन सम्बन्धी हज़ारों नियम प्रचलन में आ गए। रील्स देख देखकर लोग अपनी दिनचर्या निर्धारित कर रहे। इंटिमेट फास्टिंग करो, सूरज निकलने और ढलने के बीच खाओ, वीगन बन जाओ वग़ैरह वग़ैरह......

और जब परहेज करने निकलो, तो इतने सारे परहेज हैं कि इंसान यह सोचता है कि इतने परहेज करने से तो अच्छा है जन्म ही न लेते। इंसान बन कर भी क्या खाक जिया ! मनचाही चीज़े त्यागो क्योंकि जिंदा रहना है।

अब मांसाहार से परहेज करो, क्योंकि जीव हत्या एक पाप है...!!

प्रवचन करने वाले ये नहीं देखते कि शाकाहार उगाने के चक्कर में कितने जीवों की हत्या कर दी जाती है निर्दयता से पेस्टिसाइट व अन्य रसायन छिड़ककर कृषि का असर सब पर हो रहा। ऊपर से समय समय पर जंगलों में आग भी लगाई जाती है । उपजाऊ भूमि पाने के लिए कितने ही जीवजन्तु बेमौत मारे जाते हैं, किसको चिंता है उनकी ? ?

चलो मांसाहार भी त्याग दिया और शाकाहारी हो गए, तब कहेंगे कि प्याज, लहसुन, उरद- मसूर की दाल त्याग दो, क्योंकि ये सब तामसिक भोजन है और सेक्स की इच्छा बढ़ाती है।

चलो ये सब भी त्याग दिया तो कहेंगे कि टमाटर, बैंगन भी त्याग दो, क्योंकि ये भी तामसिक भोजन है और बादी होता है।

चलो ये भी त्याग दिया, तो कहेंगे कि दूध और दूध से बने उत्पाद त्याग दो, क्योंकि इनके सेवन से बछड़े पर अत्याचार होता है, उसे उसके हिस्से का दूध नहीं मिलता।

चलो ये भी त्याग दिया, तो कहेंगे कि गेहूं, दाल, चावल भी त्याग दो क्योंकि ये सब पशुओं का आहार है, फल और हरी सब्जियाँ खाओ। 

चलो फल और हरी सब्जियाँ खाना शुरू दिया, तो कहेंगे कि पकाकर मत खाओ, कच्चा खाओ। क्योंकि मानव का पेट पका हुआ भोजन पचाने के लिए बना ही नहीं है। मानव का पेट तो कच्ची सब्जियाँ और फल पचाने के लिए बना है।

ऐसे तो मानव का शरीर बहुत सी ऐसी चीजें है जिनके लायक नहीं बना। जैसे आंखें चौबीसों घण्टा मोबाईल लैपटॉप का स्क्रीन देखने लायक नहीं बनी। शरीर बाहर का फ़ास्ट फ़ूड खाने लायक नहीं बना,  बल्कि इन सब को मानव ने अपने अनुकूल बनाकर अपनाया है।

तो फिर सब कुछ त्याग कर निर्वस्त्र हो जाओ, कंद-मूल खाकर जंगल में झींगा...ला...ला... करो ?

शहर में क्यों रह रहे हो ? मानव का शरीर तो शहर में रहने के लिए भी नहीं बना है। मानव का शरीर तो जंगल में रहने के लिए बना है, वही रहें शिकार करे, कच्ची सब्जियाँ और फल-फूल खाये....

सच्ची बात को कोई तवज्जो ही नहीं दे रहा है। भोज्य पदार्थो में मिलावट और परमिटेड जहर मिलाया जा रहा। जिससे बीमारी बनी रहे और फार्मा माफियाओं का कारोबार दिन दुनी रात चौगुनी प्रगति करता रहे। इसलिए ऐसे सभी खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए, जो जैविक नहीं है, जिनमें पेस्टिसाइड, प्रिजरवेटिव और अन्य जहरीले रसायन मिलाये जाते हैं।

बात सिर्फ़ इतनी सी है कि जो भी खा रहे हो। अगर वह शुद्ध और सात्विक मिल जाये तो सेहत के लिए वरदान हो सकता है। परहेज़ जरूरी है पर मिलावटी भोज्य पदार्थों से। क्योंकि ईश्वर ने शरीर की रचना करते सने उसे हर परिस्थिति और उपलब्ध साधनों के अनुसार जीने के लायक बनाया है। 

बस थोड़ी सी जागरूकता और सावधानी काफी है एक स्वस्थ और लंबी जिंदगी जीने के लिए। 

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