खुद को गले लगाओ

खुद को गले लगाओ : 

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खुद को गले लगाने की आदत

रखा करो कभी कभार

जरूरी नहीं की अपनापन

दूसरों से ही मिल जाये हरबार

कुछ जख्मों की उम्र नहीं होती 

ताउम्र चलते है खाक होने तक

फिर काहे उम्मीद लगाकर

उसके भरने का कर रहे इंतज़ार

हमारी बुराइयों को मशहूर

करने वालों जरा बाहर आओ

पर्दे के पीछे रहकर खुदाई 

बखानने की कोशिश है बेकार

लोगों के बदल जाने का दुख नहीं

हम तो अपने भरोसे पर शर्मिंदा हैं

बेवजह ही ख़ुद को समझते रहे

उनकी मेहरबानियों का कर्जदार

            

                     ~ जया सिंह ~

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