नए जेनज़ी की नई सोच
नए जेनज़ी की नई सोच : ••••••••••••••••••••••••
अमूमन हम सभी अपनी अच्छी भावनाओं को तो तवज्जो देते है।उसे दूसरों के साथ शेयर भी करते हैं । पर बुरी या तकलीफ़ देने वाली भावनाओं को खुद तक ही रखते हैं। जिससे अंदर घुटन पैदा होती है। आज की तेज रफ़्तार जिंदगी में जब युवा के पास सोशल मीडिया, फैन फॉलोइंग, ऑप्शन्स सब कुछ है। तब भी आज का युवा अकेलापन महसूस करता रहता है। क्योंकि उसके पास जो भी circle है वो बाहरी है। अर्थात social मीडिया से बने रिश्ते long lasting नहीं होते। ये सतही संबंद्ध होते है। जिंगये क्षणिक भी माना जा सकता है।
आजकल का युवा अपने तक ही ज्यादा सीमित रहना चाहता है। उसे अपनी भावनाएं या मन की किसी से share करना नहीं अच्छा लगता है। जेन ज़ी अर्थात 1997 से 2012 के बीच जन्में लोग अब दोस्ती रिश्तों और समाज म् के प्रति अलग दृष्टिकोण अपना रहे। वो किसी संबंद्ध को पहले भली भांति परखते हैं चाहे इसमें कितना भी समय लगे। वो किसी भी रिश्ते को अपना तभी मानते हैं।जब तक उसके प्रति वह पूरी तरह assure ना हो जाये। सिर्फ हालचाल तक सीमित रहने वाले रिश्ते अंकल सतही लगते हैं। ऐसे में वो अकेले रहकर खुद पर focus करना जरूरी समझते हैं।
उनके लिए कैरियर भी एक बड़ी वजह है। क्योंकि सबसे पहले वो खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाना चाहते है। और इसके लिए उन्हें दुनिया की बाकी फजूल चीजों से विरक्त होकर अपनी प्रगति और जगह पर फोकस करना होता है। जिंदगी में उन्हें डब्ल्यू वाई डी अर्थात क्या कर रहे हो जैसे मैसेज से दूरी बनाकर सार्थक चर्चा पर बात करना अच्छा लगता है। जेनज़ी के लिए पर्सनल ग्रोथ और सेल्फ केअर ज्यादा जरूरी हो गया है। उनके लिए प्यार या लगाव अब एक पड़ाव नहीं बल्कि विकल्प की तरह हो गए हैं। अधिकतर अकेले रहकर खुद पर ही फोकस करना पसंद करते हैं।
ये नए विकास की नई सोच है। साथ, संबंद्ध और समाज ये तीनों ही अब महत्वपूर्ण होने की श्रेणी से बाहर किये जा चुके हैं क्योंकि अब प्रथमिताएँ बदल चुकी हैं। जीने के लिए दूसरी जरूरतें ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ।
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