Achievement oriented thoughts in male
Achievement oriented thought in male ••••••••••••••••••••••••••
पुरूष और स्त्री में मूल अंतर क्या है ? ? यही ना की पुरुष बाहरी दुनिया के बारे में ज्यादा सोचता है और स्त्री घर, परिवार, गृहस्थी आदि के बारे में। ये इसलिए है कि स्त्री घर से ज्यादा जुड़ी रहती है । जबकि पुरुष बाहर की दुनिया में अपना अधिक समय गुजरता है।
ये अंतर उनकी सोच, व्यवहार और आदतों में स्पष्ट दिख जाता है। जब कुछ स्त्रियां एक साथ बैठी हों तो घर कैसे चल रहा, बच्चे क्या कर रहे, घर में खाने में क्या बनता है, किसे क्या पसन्द है, समय कैसे मैनेज होता है, घर के जरूरी सामान कहाँ कम कीमत पर मिल जाते हैं वगैरह वगैरह बहुत से ऐसे टॉपिक्स होते हैं जिन पर उनके बीच बातें हो रही होती हैं।
पर जब कुछ पुरुषों को बात करते देखो तो उनके बीच मैनें वो गाड़ी देखी खरीदना चाहता हूं। दफ्तर में बस उस पोस्ट तक पहुंचने की ख्वाहिश है, उसका घर देखा..बड़ा शानदार बनाया। ऐसा ही एक घर मैं भी बनाना चाहता हूं, फलाना ब्रांड की घड़ी बटुआ, टाई, कोट, सूट वगैरह लेना है।
मतलब बातें हो रही बस कुछ पाने की। जो कुछ है उससे कहीं थोड़ा ज्यादा। उस एक्स्ट्रा को पाने के लिए क्या कैसे मैनेज करने है ये बातों का विषय होता है। Achievements अच्छे लगते है। उनके बारे में सोचना भी अच्छा है। पर पहले जो अपने पास पहले से है। उसमें संतुष्टि खोजना भी एक व्यवहारिक कदम है। क्योंकि यही संतुष्टि हमें अधिक के पीछे भागने से रोकती है।
व्यक्ति अपनी मूल प्रवृत्ति से इतर होकर बात नहीं कर सकता। स्त्रियां स्त्री बन कर बात करेगी, पुरुष पुरुष बन कर। पर कभी कभी पाने कमाने की दौड़ से अलग होकर जो है उसमें जिंदगी ढूंढना भी एक तरह की खुशी है। क्योंकि जो है वो तो हमारे पास ही रहने वाला। उसका सुख हमें मिलता रहेगा।
★●★●★●★●★●★●★●★●★●★●★
Comments
Post a Comment