दिल खोल कर बातें,Talking parlour

 दिल खोल कर बातें, talking parlour........            ••••••••••••••••••••••••••••

मन की मन में घुटती रहे तो ये ख़ामोशी जीवन को खोखला बनाने लगती है। कुछ कहने सुनने के लिए कोई तो आसपास होना चाहिए। जिससे हंसी मजाक,बातें कर कुछ अच्छा समय गुजारा जा सके। ये एक बहुत बड़ी जरूरत है जीवित होने की। पशु पक्षी भी समूह में रहकर एक दूसरे से कुछ कहते सुनते रहते हैं। 

पर इंसानों में ये जरूरत बुढ़ापे में ज्यादा महसूस होने लगती है क्योंकि तब बच्चे बड़े हो जाते हैं। उनकी अपनी जिंदगी हो जाती है और वो अपने बुजुर्गों को कम समय देते हैं।ऐसे में घर के बुजुर्ग जो अकेले रहते हैं उनका मन घुटने लगता है। वो चाहते हैं कि कोई ओस ही जिसके साथ हंस बोल कर कुछ कह सुन कर समय बिताया जा सके। 

सैमुअल और मैरी दोनों 60 + उम्र के हैं । बच्चे विदेश चले गए। अब दोनों अपने घर में अकेले रहते हैं। पड़ोसी ज्यादा सम्बंध नहीं रखते। उनके दोस्त भी बहुत नहीं है जिनसे रोज मिला जा सके। फ़िर एक दूसरे से भी कितनी बातें करें। तो उन्हें अपनी बोरियत मिटाने और खुशी के कुछ पल गुजारने के लिए मिला टॉकिंग क्लब....जहां उनकी ही उम्र के बहुत से लोग रोजाना आते हैं आपस में चर्चाएं, नाच गाना, इंडोर गेम्स जैसे कैरम लूडो ताश वगैरह खेलते हैं। दो चार घण्टे मौजमस्ती के साथ जीवंत गुजरते हैं।

टॉकिंग पार्लर किसी गार्डन के एक पेड़ के नीचे, किसी सोसाइटी के क्लब हाउस में, या किसी के घर में कोई एक खाली कमरे में भी बनाये जा सकते हैं। जहां कुछ उम्रदराज लोग बैठ कर अपने मन की कहे दूसरे की सुने। कुछ खेल खेलें और कुछ पल खुशी के गुजारें। 

केरल में healthy aging के concept को लेकर एक आंदोलन की शुरुआत करने के लिए केशव पिल्लई नाम के एक रिटायर्ड व्यक्ति ने इसकी शुरुआत की। बाद में एक और अनुभवी डॉ पद्मकुमार भी इस मुहिम से जुड़ गए। और इस तरह उन्होंने मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह के तकरीबन 93 टॉकिंग पार्लर खुलवा दिए। जो अब आसपास के तमाम बुजुर्गों को खुशी के पल दे रहे। 

वैसे ये टॉकिंग पार्लर सिर्फ बुजुर्गों के लिए ही नहीं हैं कोई भी जो अकेला महसूस कर रहा हो। जिसके पास कहने सुनने के लिए कोई ना हो। वो हर कोई यहां आकर कुछ लोगों के बीच अच्छा समय गुजार सकता है। ये एक अच्छा आईडिया है। जिसे हर जगह हर समाज में अमल में लाना चाहिए। 

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