डाइट के वैदिक नियम
डाइट के वैदिक नियम : •••••••••••••••••••••••
भोजन ग्रहण करना शारीरिक जरूरत है। शरीर को चलाये रखने के लिए हमें ऊर्जा की जरूरत होती है। इसीलिए हम खाने में पौष्टिकता को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन इंसान इसमें अपनी रुचि भी डाल देता है। अर्थात जो पसन्द है वही खाया जाएगा। लेकिन इस खाने खिलाने की प्रक्रिया में सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात ये है कि जो भी खाएं वह शरीर को लगना चाहिए। और लगेगा तभी जब वह समय, पेट, ऋतु , और भोज्य की तासीर देख कर खाया जाएगा। अब कुछ प्रमुख बिन्दुओंके द्वारा समझते हैं कि कब क्या कैसे खाना चाहिए....
ध्यान रखने योग्य कुछ प्रमुख बिंदु : ••••••••••••••••••••••••••••••••••
1- body type के अनुसार खाएं - इस बिंदु में ये समझना जरूरी गया कि उम्र, मेटाबोलिज्म रेट, एक्टिविटी लेवल ये सब देखकर अपना भोजन decide करना चाहिए। इन सभी में सबसे ज़रूरी उम्र है। क्योंकि जैसे जैसे उम्र बढ़ती है। शरीर के खाना पचाने की क्षमता घटती जाती है और साथ ही work load भी कम होने लगता है इसलिए हल्का सुपाच्य खाना ही अच्छा होता है।
2- Season का विशेष ध्यान रखकर खाया जाए - मौसमी फल सब्ज़ी और अनाज ही सबसे बड़ी औषधि है शरीर के लिये । क्योंकि उनकी तासीर मौसम के हिसाब से निर्धारित होती है। जैसे सर्दियों में बाजरे मक्के की रोटी। दाल बाटी , गुड़, dry fruits लड्डू चिक्की वग़ैरह। क्योंकि इनकी तासीर गर्म होती है। ठंडी चीजें जैसे दही, आम, तरबूज, खरबूज वगैरह गर्मी की चीजें है। इनकी तासीर ठंडी होती है।
3 - प्राकृतिक घड़ी का ध्यान रखें - हमारे शरीर में एक प्राकृतिक घड़ी होती है। जो समय अनुसार कार्य करती है। सुबह का समय मेटाबॉलिज्म सबसे तेज़ और तीव्र होता है। दोपहर को मद्धम और रात्रि में ये बहुत कम होता है। इसीलिए रात को हल्का भोजन करने के लिए कहा जाता है। दिन भर कार्य आदि के चलते शरीर active भी रहता है। जबकि रात को खाने के बाद सोना ही रहता है।
4- गलत conbinations से बचें - भोज्य पदार्थों में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो एक साथ खाना वर्जित होता है। जैसे दूध की चीज़ों के साथ नॉन वेज वगैरह। भोजन एक बायो केमिकल कॉम्बिनेशन है। जिसमें हर केमिकल की अलग प्रवृत्ति के कारण उसे दूसरे से mix नहीं कर सकते।
5 - पुरानी खाद्य परंपराओं को अपनाएं - हमारी दादी नानी के समय बहुत से ऐसे चलन थे जो शरीर की जरूरत के हिसाब से बनाये गए थे। उस समय इतनी व्यज्ञानिक जानकारियां नहीं थी। पर फ़िर भी उनके अनुभवों से भोजन की व्यवस्था अनुपम हुआ करती थी। आज की भागती दौड़ती दुनिया में भोजन संबंद्धि कुछ पुरातन परंपराएं भी जीवन में शामिल कर लेवें तो निश्चय ही लाभ मिलेगा।
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