एक पंक्ति में छिपी गहरी बात

 एक पंक्ति में छिपी गहरी बात : ✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️

संत और कवि कबीरदास जी का एक प्रचलित दोहा है......

"प्रेम गली अति सांकरी,ता में दो ना समाहि" ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

इस दोहे को सामाजिक और सात्विक जीवन से जोड़कर इसका महत्व समझें तो पाएंगे कि कबीरदास जी किस दो की बात कर रहे हैं....यह प्रेम युवावस्था वाला लड़के लड़की का प्रेम भी हो सकता है, ये प्रेम परमात्मा से भी हो सकता है, ये प्रेम किसी नश्वर वस्तु से भी हो सकता है और ये प्रेम खुद से भी हो सकता है। 

अब पहले प्रेम गली का अर्थ समझते हैं। अर्थात जो प्रेम में पड़ गया हो वो प्रेम की गली में प्रवेश कर चुका है। उस रास्ते पर चल चुका है जहां सिर्फ प्रेम बसता है। अति सांकरी का अर्थ है कि ये गली बहुत ही पतली है। इसमें बहुत से भाव, विचारों और प्रतिमानों के साथ नहीं रहा जा सकता। जैसे अगर प्रेम है तो क्रोध, वैमनस्य, घृणा आदि को कैसे साथ रखेंगे...ता में दो का अर्थ है कि अगर प्रेम है तो वह अकेला ही रहेगा वहां। दूसरी कोई भावना उसके साथ नहीं रह सकती। समाही का अर्थ है रहना...मतलब जब कोई जगह बहुत छोटी है तो उसमें बहुत सी चीजें एक साथ नहीं समाएँगी। 

जब प्रेम को अपना लिया तो बहुत से अन्य भाव जो मन में रहते हैं उनका परित्याग करना होगा। संशय और उलझन लिए प्रेम कभी भी गहरा और पवित्र नहीं हो सकता। 

कभी कभी दो शब्दों में भी गहरा अर्थछुपा होता है। जिसे अगर सही से समझ जाएं। तो जीवन में परिवर्तन आ जायेगा। और ये परिवर्तन सकारात्मक होगा। 

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